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कोरोना काल की मार झेल रहे कुली, 02 शिफ्ट में 12 घंटे की ड्यूटी फिर भी परिवार पालना हुआ मुश्किल

Update: 2020-11-05 12:16 GMT

ग्वालियर/वेब डेस्क। कोरोना संक्रमण से पहले जहां स्टेशन पर तैनात कुली 400 से 500 रुपये रोजाना कमाते थे, वहीं इन दिनों कोविड काल के चलते स्टेशन पर बोझ उठाने वाले कुलियों को सौ रुपए कमाना भारी पड़ रहा है। संक्रमण की मार स्टेशन पर काम करने वाले 108 कुलियों पर भी सीधे तौर पर पड़ी है। वर्तमान में सोलह जोड़ी ट्रेनों की आवाजाही ग्वालियर स्टेशन पर होने के बाद भी कुली को बारह घंटे मेहनत करने पर सौ रुपये की कमाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में इन कुलियों को परिवार पालना मुश्किल हो गया है।

देश में कोरोना महामारी की दस्तक देने के बाद लॉकडाउन लागू करने के बाद ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। आठ महीने बाद भी ट्रेनों का संचालन महज 40 फीसदी ही रेलवे द्वारा शुरू किया जा सका है। वहीं कोविड काल के चलते जो यात्री सफर कर रहे हैं, वे सफर के दौरान सीमित लगेज लेकर ही सफर कर रहे हैं, ऐसे में ग्वालियर में वर्षों से यात्रियों के सामान का बोझ उठाकर ट्रेन व ऑटो तक पहुंचाने वाले कुलियों के हाथ काम नहीं मिलने के कारण खाली दिखाई पड़ते हैं। आलम यह है कि यात्री कोविड के चलते स्वयं ही लगेज उठाते स्टेशन पर देखे जा सकते हैं।

दो शिफ्ट में 12 घंटे की ड्यूटी

ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंस धारक कुलियों की संख्या 108 है। वर्तमान में सोलह जोड़ी ट्रेनों की आवाजाही स्टेशन पर हो रही है, ऐसे में कुलियों को काम मिल सके, इसके लिए दो शिफ्ट में दस-दस कुलियों को बुलाया जा रहा है। एक शिफ्ट में काम करने के बाद तीसरे दिन संबंधित कुली का नंबर आता है। यात्रियों की संख्या सीमित होने के कारण एक कुली सौ रुपये भी नहीं कमा पा रहा है।

कुली अब्दुल भाई ने बताया कि 12 घंटे यात्रियों का इंतजार करने के बाद भी काम नहीं मिल रहा है। यात्री कोरोना संक्रमण के चलते कुली से लगेज उठवाने में परहेज कर रहे हैं। यही वजह है कि ट्रेनों की आवाजाही शुरु होने के बाद भी कुलियों को काम नहीं मिल रहा है।

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