ज्ञान से देश के विकास में सहयोगी बने व धरती का मान बढाएं: राज्यपाल पटेल
कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 643 विद्यार्थियों को प्रदान की उपाधि
ग्वालियर। शिक्षा से प्राप्त ज्ञान से पूरे देश में शिक्षा के विकास में सहयोगी बने और अपने समाज व माता-पिता के साथ ही धरती माता का मान बढ़ाएं। शिक्षा में दूसरों की मदद की अपार संभावनाएं हैं, इसके लिए आप जीवन भर नवाचार करते हुए किसानों से मिलकर देश की प्रगति में सहभागी बनेें। यह बात अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रविवार को आयोजित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के नौवे दीक्षांत में छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों को प्रौद्योगिकी से जोडऩे और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें भारत के अपने परंपरागत अनाजों के महत्व से अवगत कराते हुए समाज के विकास में अपना योगदान दे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला व विशिष्ट अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नईदिल्ली के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) रमेश चंद्र अग्रवाल मौजूद रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात 643 विद्यार्थियों को प्रदान की गई उपाधियां प्रदान की गई। इसमें पी.एच.डी. के 27 कृषि स्नातकोत्तर के 288 तथा कृषि व उद्यानिकी स्नातक के 328 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा चार छात्राओं को स्वर्ण पदक, तीन विद्यार्थियों को सिरताज बहादुर सिन्हा स्मृति अवार्ड प्रदान किए गए। इस अवसर पर एक दीक्षांत स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
कृषि विश्वविद्यालय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता: डॉ. शुक्ला
प्रधानमंत्री जी की दूरदृष्टि के कारण आज हमारा युवक शिक्षा से जुडक़र रोजगार मांगने वाला नहीं वरन देने वाला बना है। भारत को विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में शिक्ष का महत्वपूर्ण योगदान है। हम खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़े हैं, जिसमें मध्य प्रदेश तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया षि विश्वविद्यालय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। यहां के गेहूं तथा चने की किस्मों ने देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। यह बात पूर्व कुलपति डॉ. शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि अब हमें खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ ही पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में काम करना है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को लक्ष्य की ओर देखना चाहिए समस्याओं की ओर नहीं और देश को विश्व की सबसे ऊंची अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आने वाले समय में अपना योगदान देना चाहिए।
विज्ञान से जुडक़र तकनीक का उपयोग शिक्षा क्षेत्र में करना होगा: अग्रवाल
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद श्री अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए युवा शक्ति को तैयार करने के लिए बड़ी संख्या में कृषि विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को वैश्विक स्तर पर अनुभव प्राप्त करने के लिए भेजा जा रहा है। युवाओं को आधुनिक विज्ञान से जुडक़र तकनीक का उपयोग कृषि क्षेत्र में करना होगा। भविष्य में टिकाऊ खेती, बायो फोर्टीफाइड फसलों जैसी चुनौतियों के साथ हमें खाद्यान्नों के पोषक तत्व को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
स्वर्ण पदक पर छात्राओं का कब्जा
दीक्षांत समारोह में जिन चार विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिए गए, वह सभी छात्राएं रहीं। इसमें कृषि स्नातक में इंदौर महाविद्यालय की अंजली कुमारी, उद्यानिकी स्नातक में मंदसौर की आस्था सूर्यवंशी, कृषि स्नातकोत्तर में मंदसौर की दीपांशी देवड़ा एवं पी.एच.डी. में मेघा शर्मा को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। जबकि स्वर्ण पदक पाने वालों में एक भी छात्र शामिल नहीं रहा।