रिजर्व बैंक ने दिए संकेत, करेंसी नोट बैक्टीरिया फैलाने में सक्षम

डिजीटल भुगतान का करें उपयोग

Update: 2020-10-05 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। करेंसी नोट के द्वारा किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया और वायरस एक दूसरे तक फैल सकता है और इसलिए करेंसी के उपयोग की बजाय लोगों को डिजिटल भुगतान का अधिक से अधिक करना चाहिए। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा भेजे गए एक प्रश्न के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक मेल में अप्रत्यक्ष रूप से यह उत्तर दिया है। कैट जो एक वर्ष से अधिक समय करेंसी द्वारा बैक्टीरिया और वायरस फैलने के बारे में समय-समय पर इस स्पष्टीकरण की मांग करता आ रहा है, ने विगत 9 मार्च, 2020 को केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन को एक पत्र भेजा, जिसमें यह स्पष्ट करने का आग्रह किया था कि क्या करेंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हैं या नहीं, जिसे वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को भेजा, जिसके प्रतियुत्तर में आरबीआई ने 3 अक्टूबर, 2020 को एक मेल के माध्यम से कैट को दिए अपने जवाब में ऐसा संकेत दिया है।

कैट को भेजे अपने उत्तर में रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी को सीमित करने के लिए लोग अपने घरों से ही सुविधापूर्वक मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, कार्ड इत्यादि जैसे ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं और करेंसी का उपयोग करने अथवा एटीएम से नकदी निकालने से बच सकते हैं। इसके अलावा समय-समय पर अधिकारियों द्वारा जारी कोविड पर सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है। कैट के मध्यप्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र जैन एवं महामंत्री मुकेश अग्रवाल ने कहा कि करेंसी नोटों द्वारा किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस जैसे कोविड की बहुत तेजी से फैलने की संभावना सबसे ज्यादा है, जिसको देखते हुए कैट बीते एक साल से ही सरकार के मंत्रियों एवं अन्य प्राधिकरणों को इसका स्पष्टीकरण लेने के लिए प्रयासरत है। पिछले वर्ष से अनेकों बार इस मुद्दे को उठाने के बाद ये पहला अवसर है जब आरबीआई ने इसका संज्ञान लेते हुए जवाब तो दिया है, पर मूल प्रश्न से कन्नी काट गए। हालांकि अपने जवाब में आरबीआई ने इससे इनकार भी नहीं किया है जिससे पूरी तरह ये संकेत मिलता है कि करेंसी नोट के माध्यम से वायरस और बैक्टीरिया फैलता है और इसलिए ही आरबीआई ने करेंसी भुगतान से बचने के लिए डिजिटल भुगतान के अधिकतम उपयोग की सलाह दी है।

श्री जैन और श्री अग्रवाल ने संयुक्त रूप से कहा कि 29 अगस्त, 2019 को जारी आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रचलन में बैंक नोटों का मूल्य और मात्रा क्रमश: 17.0 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत से बढक़र, वर्ष 2018 और 2019 में 21,109 बिलियन और 108,759 मिलियन तक पहुँच गई थी। मूल्य के संदर्भ में 500 और 2000 रुपए के नोटों की हिस्सेदारी, जो मार्च 2018 में बैंक नोट्स के कुल मूल्य का 80.2 प्रतिशत थी वह मार्च 2019 में बढक़र 82.2 प्रतिशत हो गई। 1 जुलाई 2018 से 30 जून, 2019 के दौरान करेंसी मुद्रण पर कुल व्यय 48.11 बिलियन रहा जो वर्ष 2017 -18 में 49.12 बिलियन था। उन्होंने बताया कि चूंकि भारत और अन्य देशों के विश्वसनीय संगठनों की विभिन्न रिपोर्टों ने साबित किया है कि करेंसी नोट के जरिए विभिन्न किस्मों का बैक्टीरिया और वायरस फैल सकता है। भारत में नकदी का उपयोग बेहद अधिक होता है और देश की 130 करोड़ जनता करेंसी नोटों के द्वारा भुगतान को किसी भी अन्य डिजिटल भुगतान से बेहतर मानते हुए अधिकतम करेंसी नोटों का उपयोग करते हैं। वर्तमान कोविड काल हो या सामान्य काल, करेंसी का उपयोग हर परिस्थितियों में घातक हो सकता है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है की देश में डिजिटल भुगतान को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को एक इन्सेंटिव स्कीम की घोषणा करनी चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा व्यापारी एवं अन्य लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में नकद की बजाय डिजिटल भुगतान सिस्टम का उपयोग करें। डिजिटल लेन-देन पर बैंक शुल्क को समाप्त किया जाए और बैंक शुल्क राशि के एवज में सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जाए। इस तरह की सब्सिडी सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पडऩे देगी क्योंकि इससे बैंक नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और देश में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान को अपनाया जा सकेगा।

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