फिर से खुलेगी चर्चित सरला मिश्रा कांड की फाइल: भोपाल जिला न्यायालय ने जांच को अपूर्ण माना, पुलिस को दिए पूर्ण विवेचना के निर्देश…

Update: 2025-04-17 06:47 GMT

भोपाल। 1997 में कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की जलने से हुई संदिग्ध मौत की फाइल 28 साल बाद एक बार फिर से खुलेगी। इस मामले में पुलिस ने इस तर्क के साथ 27 मार्च 2000 को खात्मा रिपोर्ट पेश की थी कि मृतका ने मौत से पहले दिए बयान में किसी को भी घटना का जिम्मेदार नहीं ठहराया था।

इस मामले की विवेचना में कमियां और कुछ प्रमाणों के साथ मृतका सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने न्यायालय की फिर से जांच के लिए याचिका प्रस्तुत की थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, भोपाल सुश्री पलक राय ने फरियादी की प्रोटेस्ट पिटीशन एवं खात्मा प्रकरण में साक्षियों के कथन के आधार पर की गई विवेचना को अपूर्ण मानते हुए थाना टीटी नगर के थाना प्रभारी को आदेशित किया है कि इस अपराध के संबंध में अग्रिम विवेचना की जाए एवं संपूर्ण विवेचना के बाद संबंधित अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायालय को सूचित करें।

क्या था सरला मिश्रा कांड

14 फरवरी 1997 को होशंगाबाद निवासी कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की टीटी नगर थाना क्षेत्र के एक मकान में संदिग्ध परिस्थितियों में जली अवस्था में मिली थीं। पहले उन्हें भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 19 फरवरी 1997 को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

सरला की मौत को परिजनों ने हत्या बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। भाजपा ने भी इस मामले में लगातार प्रदर्शन किया था। इसके बाद मप्र के तत्कालीन गृहमंत्री चरणदास महंत ने इस मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की थी।

लेकिन सीबीआई जांच का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। परिजनों की ओर से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका को उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी 2006 को खारिज कर दिया था।

सरला के भाई ने जारी रखी लड़ाई

सरला के भाई अनुराग मिश्रा ने इस लड़ाई को जारी रखा और 2018 में फिर से याचिका दायर कर पुलिस द्वारा सही से जांच नहीं किए जाने के तथ्य के साथ सीबीआई जांच की मांग की। पिछली सुनवाई में भोपाल पुलिस आयुक्त न्यायालय में पेश हुए थे, उन्होंने बताया था कि इस मामले में खात्मा रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जा चुकी है। 

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