भोपाल। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश में मतदान केंद्रों से हटकर अन्य स्थानों पर ईवीएम ले जाने की घटनाओं से सबक लेते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में ईवीएम की आवाजाही पर जीपीएस की सतत निगरानी सुनिश्चित कर दी है।
चुनाव आयोग ने आम चुनाव के लिये लागू की गयी व्यवस्था के तहत ईवीएम को लाने ले जाने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है। इससे मशीनों की आवाजाही पूरी तरह से जीपीएस की निगरानी में हो सकेगी। चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) को चुनाव के दौरान ईवीएम को मतदान केंद्र तक और मतदान केंद्र से नियंत्रण कक्ष तक पहुंचाने के लिये जीपीएस युक्त वाहनों का उपयोग करने का निर्देश दिया है। यह व्यवस्था लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ उपचुनावों में भी लागू होगी। आयोग ने चुनाव अधिकारियों से ईवीएम की आवाजाही पर सख्त और सतत निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है। जीपीएस की मदद से ईवीएम को निर्धारित समय सीमा के भीतर गंतव्य तक पहुंचाने पर भी नजर रखी जायेगी। वहीं निर्वाचन आयोग ईवीएम- ट्रेकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके अपने डेटा बेस से यह पता लगा सकेगा कि कौन सी मशीन कहां पर है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम मशीनों को निर्वाचन पदाधिकारियों द्वारा मतदान केंद्र से होटल या अन्य स्थानों पर ले जाये जाने की शिकायतें मिलने के बाद आयोग ने यह व्यवस्था की है।
चुनाव के लिए 10 लाख से ज्यादा मतदान केंद्र
आयोग ने आगामी 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए देश भर में लगभग 10.35 लाख मतदान केंद्र बनाए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यह संख्या 9.28 लाख थी। मतदान में लगभग 39.6 लाख ईवीएम और 17.4 लाख वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल होगा। इनमें रिजर्व श्रेणी की वे मशीनें भी शामिल हैं जिन्हें मशीनों में तकनीकी खराबी आने की स्थिति में इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रखा जाता है।