मप्र में 3 साल बढ़ेगी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र, लोकसभा चुनाव से पहले हो सकता है फैसला

प्रदेश के साढ़े चार लाख शासकीय सेवकों को मिलेगा लाभ

Update: 2024-02-02 13:45 GMT

भोपाल। मप्र की डॉ. मोहन यादव सरकार राज्य के करीब साढ़े चार लाख से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बड़ी सौगात देने की तैयारी में है। प्रदेश में शासकीय सेवकों की सेवानिवृाि की आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने की कवायद शुरू हो गई है। संभवत: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले प्रदेश में कर्मचारियों की सेवानिवृाि की आयु-सीमा में एकरूपता लागू हो सकती है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने मप्र संकल्प पत्र-2023 को पूरा करने की पहल शुरू की। जिसे सामान्य प्रशासन विभाग पूरा करने में प्राथमिकता के साथ जुट गया है।

विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के संकल्प पत्र-2023 में मप्र के सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में एकरूपता लाने का विषय शामिल था। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को विभिन्न कर्मचारी संगठन, मप्र राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की ओर से भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर मांग की गई थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी शपथ लेने के बाद अधिकारियों के साथ पहली बैठक में संकल्प पत्र-2023 में शाासकीय सेवकों से जुड़े मसलों को पूरा करने के निर्देश दे दिए थे। इसके बाद 11 जनवरी को राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष (कैबिनेट दर्जा) रमेश शर्मा ने मप्र के शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा में एकरूपता लाने के लिए नोटशीट लिखी। जिसमें कहा गया कि शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने पर शासन को विचार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने पदोन्नति नहीं होने की वजह से सरकारी विभागों में कैडर गड़बड़ाने और खाली पदों को लेकर भी मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया।

विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के संकल्प पत्र-2023 में मप्र के सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में एकरूपता लाने का विषय शामिल था। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को विभिन्न कर्मचारी संगठन, मप्र राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की ओर से भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर मांग की गई थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी शपथ लेने के बाद अधिकारियों के साथ पहली बैठक में संकल्प पत्र-2023 में शाासकीय सेवकों से जुड़े मसलों को पूरा करने के निर्देश दे दिए थे। इसके बाद 11 जनवरी को राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष (कैबिनेट दर्जा) रमेश शर्मा ने मप्र के शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा में एकरूपता लाने के लिए नोटशीट लिखी। जिसमें कहा गया कि शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने पर शासन को विचार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने पदोन्नति नहीं होने की वजह से सरकारी विभागों में कैडर गड़बड़ाने और खाली पदों को लेकर भीमुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया।

6 साल बाद बढऩे जा रही है आयु सीमा

प्रदेश में मई 2018 तक शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल थी। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने जून 2018 से इसे बढ़ाकर 62 कर दिया। अब 6 साल बाद फिर से सरकार सेवानिवृत्ति की सीमा 62 से बढ़ाकर 65 करने जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इससे सरकार को कर्मचारियों की हो रही कमी से फौरी राहत मिलेगी। साथ ही वित्तीय स्थिति ठीक नहीं होने से सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान की राशि भी नहीं देनी पड़ेगी।

वित्तीय विभाग पर पड़ेगा असर

सरकार के उच्च सूत्रों के अनुसार ससेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने का फैसला शासन स्तर पर चल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव संकल्प पत्र 2023 को लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले करने के पक्ष में हैं। मुयमंत्री कार्यालय ने इसकी पहल की। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्तिकी आयु 62 से 65 साल करने पर खजाने पर पडऩे वाले भार को लेकर ावित्तीय विभाग से अभिमत मांगा है। वित्तीय से अभिमत आने के तत्काल पर िासेवानिवृत्ति में एकरूपता के प्रस्ताव को कैबिनेट में लाया जा सकता है। यह बता दें कि अभी तक प्राध्यापक, चिकित्सक, स्टाफ नर्स एवं अन्य सेवाओं में सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 साल है। अब सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने की तैयारी है।


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