खंडवा में प्रेम की जीत: विरोधों के बीच रिजवाना बनी आराध्या, इस्लाम छोड़ अतुल संग लिए फेरे
खंडवा में सामाजिक और पारिवारिक विरोध के बीच रिजवाना ने सनातन धर्म अपनाकर अतुल संग विवाह किया। बचपन का प्रेम सात फेरों के साथ नई शुरुआत में बदला।
खंडवाः प्यार जब सच्चा हो, तो न समाज की बंदिशें मायने रखती हैं और न ही मजहब की दीवारें। खंडवा जिले के महादेवगढ़ मंदिर में शुक्रवार को ऐसा ही दिल छू लेने वाला नजारा देखने को मिला, जब हरदा की रहने वाली रिजवाना ने अपने बचपन के साथी अतुल के साथ सात फेरे लेकर नया जीवन शुरू किया। परिवार के कड़े विरोध और सामाजिक दबाव के बावजूद दोनों ने एक-दूसरे के साथ रहने का निर्णय लिया।
बचपन की दोस्ती गहरे प्यार में बदली
रिजवाना और अतुल की कहानी बचपन की दोस्ती से शुरू होकर गहरे प्रेम में बदली। उम्र में एक साल बड़ी होने के बावजूद रिश्ता वर्षों तक मजबूत रहा, लेकिन युवती के परिवार ने इसे स्वीकार नहीं किया। लंबे विरोध के बीच रिजवाना ने अपने जीवन का फैसला खुद करने का साहस दिखाया।
काफी समय से वह सनातन धर्म की परंपराओं और पूजा-पद्धति से जुड़ती गईं। उन्होंने 16 सोमवार के व्रत रखे, नवरात्रि में नौ दिनों तक आराधना की और कई मंदिरों में दर्शन किए। धीरे-धीरे उन्होंने यह विश्वास किया कि वह सनातन जीवन पद्धति को अपनाना चाहती हैं।
महादेवगढ़ मंदिर में हुआ विवाह
धर्म परिवर्तन की इच्छा जताने के बाद रिजवाना-जिसका नया नाम आराध्या रखा गया है। उसने महादेवगढ़ मंदिर के संचालक अशोक पालीवाल से संपर्क किया। वैदिक विधि-विधान के अनुसार पुजारियों की मौजूदगी में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद दोनों की सहमति से विवाह की तैयारी की गई।
सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे लिए गए। अतुल ने आराध्या को वरमाला पहनाई और मंगलसूत्र पहनाकर जीवनभर साथ निभाने का वचन दिया।
अपनी इच्छा और विश्वास से लिया फैसला
आराध्या ने कहा कि उसने अपना फैसला पूरी तरह अपनी इच्छा और विश्वास से लिया है, किसी के दबाव में नहीं। सामाजिक विरोध के बावजूद उसने अपने प्रेम और अपने नए जीवन के रास्ते को चुनने का साहस किया।
आज के समय में, जब समाज कई तरह के मतभेदों से गुजर रहा है, ऐसे में इस प्रेम कहानी ने यह संदेश दिया कि रिश्ता दिलों का होता है- धर्म, उम्र या सामाजिक दबाव का नहीं।