SIR प्रपत्र जांचः भोपाल में नहीं मिले करीबन 200000 मतदाता, अब BLO और ERO इन मतदाताओं की करेंगे खोज
भोपाल में SIR प्रपत्र जांच के दौरान करीब 2.11 लाख मतदाता ‘नो-मैपिंग’ श्रेणी में पाए गए। BLO और ERO अब अंतिम बार इनकी तलाश करेंगे। 50 दिन की सुनवाई अवधि में दस्तावेज न मिलने पर नाम हटाए जा सकते हैं।
भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जिले की सातों विधानसभाओं में में एसआईआर प्रपत्रों की जांच का काम हो चुका है। बुधवार की देर शाम फील्ड से आई अंतिम रिपोर्ट के अनुसार करीबन 2 लाख 11 हजार 275 मतदाता नो-मैपिंग के मिले हैं। अब इन मतदाताओं को 12 दिसंबर से अंतिम बार बीएलओ और इआरओ ढूंढेंगे। अगर इसके बाद भी इनकी पहचान नहीं होती है, तो इनके घरों पर नोटिस चस्पा कर दावे- आपत्तिया मांगे जाएंगे।
बता दें कि एसआईआर सर्वे में ये मतदाता वोटर लिस्ट में अंकित पतों पर नहीं मिले। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये स्थायी रूप से कहीं और शिफ्ट हो चुके हैं या फिर उनका निधन हो चुके हैं। बीएलओ और ईआरओ से इसकी जांच कराई जाएगी। निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार इन प्रविष्टियों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। मतदाता सूची का डिजिटलाइजेशन पूरा हो चुका है, इसलिए सभी आंकड़े साफ-सुथरे रूप में आज जारी कर दिए गए हैं।
50 दिनों में होगी नो मैपिंग वोटरों की सुनवाई
भोपाल के सातों विधानसभा सीटों में कुल 17 लाख 17 हजार 981 फॉर्म डिजिटलाइज किए गए। इनमें से 4 लाख 43 हजार मतदाता ऐसे मिले, जो कि मृतक, गायब और शिफ्टेड मिले। इनमें से 2.11 लाख मतदाताओं की पहचान नहीं हो सकी। क्योंकि इनका डेटा 2003 की मतदाता सूची से मेल नहीं खाता है। ऐसे लगभग 2 लाख 11 हजार मतदाताओं को नो मैपिंग श्रेणी में रखा गया है। ये वो लोग हैं, जिनका रिकॉर्ड पुराने दस्तावेजों में भी स्पष्ट नहीं है। निर्वाचन विभाग ने तय किया है कि इन प्रविष्ठियों की 50 दिन तक सुनवाई की जाएगी। यदि निर्धारित समय में दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए, तो ही उनके नाम काटने की कार्रवाई होगी।
क्या बोले जिला कलेक्टर
इस पर जानकारी देते हुए जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता वास्तविक मतदाताओं को किसी भी तरह की परेशानी से बचाना है। नो-मैपिंग श्रेणी में शामिल 2 लाख 11 हजार से अधिक नामों की अलग-अलग जांच होगी, जिनके गणना पत्रक उपलब्ध नहीं हैं। मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने 50 दिन का समय दिया जाएगा और हर व्यक्ति को अदालत जैसी सुनवाई का अवसर उपलब्ध होगा। 16 दिसंबर को मतदाता सूची का प्रकाशन होगा, जिसके बाद नाम जोडऩे, सुधार करने और आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। नए मतदाता भी इस अवधि में अपना नाम जुड़वा सकेंगे।
वहीं, भोपाल की उप जिला निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता ने कहा कि नो मैपिंग वाले मतदाताओं का परीक्षण करने प्रत्येक विधानसभा में अतिरिक्त 100 सहायक रजिस्ट्रकरण अधिकारी (ईआरओ) नियुक्त करेंगे। ताकि हर मतदाता को अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके। बीएलओ इनके साथ जाकर मतदाता का फॉर्म लेंगे। जिन मतदाताओं का डेटा नहीं मिलेगा, उन्हें प्रक्रिया अनुसार सूची से हटाया जाएगा।
गोविंदपुरा और नरेला में सबसे ज्यादा गड़बड़ी
बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एसआईआर जांच में नरेला विधानसभा सबसे अधिक गड़बड़ी पाई गई। यहां 51029 यानि 14.38 प्रतिशत मतदाता नो- मैपिंग में सामने आए हैं। ये माना जा रहा है कि अन्य स्थान पर शिफ्ट हो चुके हैं। इसी तरह गोविंदपुरा में 43611 मतदाताओं की पहचान नहीं हो सकी।
‘नो- मैपिंग’ मतदाताओं को करना होंगे ये काम
- नो- मैपिंग का मतलब यह है कि आपका पुराना रिकॉर्ड डिजिटल डॉक्यूमेंट से मैच नहीं हुआ। ऐसे मतदाताओं को 50 दिन तक सुनवाई का समय मिलेगा।
- इस अवधि में मतदाता, दस्तावेज जमा करके अपने नाम का सत्यापन करा सकते हैं। बीएलओ/ईआरओ आपकी उपस्थिति, पता और पहचान जांचेंगे।
- अगर दस्तावेज मिल जाते हैं, तो नाम सूची में बना रहेगा। यदि दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते, तो नाम काटा जा सकता है, लेकिन बाद में भी आप फॉर्म-6 से नाम जुड़वा सकते हैं।