डॉ सुमन चौरे को मिला साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन का प्रतिष्ठित लोक भाषा विषयक सम्मान
भोपाल। लोक साहित्यकार डॉ सुमन चौरे की कृति "निमाड़ का सांस्कृतिक लोक" पर साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन का प्रतिष्ठित लोक भाषा विषयक ईसुरी सम्मान भोपाल में प्रदान किया गया। करीब सवा 400 पृष्ठों की इस पुस्तक में निमाड़ की लोक संस्कृति को दर्शाया गया है।
डॉ. सुमन चौरे का जन्म लोक संस्कृति एवं संस्कारों से समृद्ध ठेठ निमाड़ी ग्राम कालमुखी, खंडवा, पूर्व निमाड़, मध्यप्रदेश में 22 जून 1948 को हुआ। निमाड़ के मूल ग्रामीण परिवेश में गहन व्यावहारिक साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना की घुट्टी पिलाकर उनका पालन-पोषण किया गया। आपने उच्चतर अध्ययन (पीएच. डी.) में निमाड़ एवं इसके प्रतिवेशी क्षेत्रों मालवा, बुंदेलखंड, गुजरात और खानदेश (महाराष्ट्र) में घूम-घूमकर इनकी संस्कृति का निमाड़ी संस्कृति पर प्रभाव का सूक्ष्म अध्ययन किया है। राष्ट्रकवि माखनलालजी चतुर्वेदी के संपादन में ‘कर्मवीर‘ में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुईं। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपका लोक साहित्य प्रकाशित हो रहा है। शासकीय सेवा में श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान, भेराजी सम्मान, अखिल निमाड़ लोक परिषद्, श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी, मुंबई, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति-मप्र, मध्यप्रदेश लेखक संघ, मध्यप्रदेश साहित्य सम्मेलन आदि द्वारा सम्मानित।
आपकी कृति ‘निमाड़ का सांस्कृतिक लोक’ में लालित्यपूर्ण शैली में लोक संस्कृति, परम्पराओं, लोक गीतों, चित्रों, गाथाओं, नृत्यों आदि को पूरी गहराई के साथ उनकी संपूर्णता में विश्लेषित किया है। आपने विमर्श किया है कि लोक गीतों में परम्पराएँ गुथी हुई हैं। यदि ये लोक गीत और परम्पराएँ नहीं होतीं तो लोक जीवन कैसा होता, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। लोक परम्पराएँ पारिवारिक सौहार्द, सामाजिक संगठन और निरन्तर विकास की पोषक है। इस ग्रंथ के माध्यम से लोक संस्कृति के दुर्लभ होते जा रहे अवयवों की मौलिकता को संरक्षित करते हुए उन्हें अगली पीढ़ियों को सुलभ करने का गंभीर प्रयास किया है।