आतंकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान को चेतावनी, FATF ने कहा तुरंत बंद करें
FATF ने पाकिस्तान को आतंक फंडिंग रोकने की चेतावनी दी। संस्था ने कहा, सुधार न होने पर दोबारा ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है।
FATF ने पाकिस्तान को दी चेतावनी, फिर ग्रे लिस्ट का खतरा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। संस्था ने कहा है कि पाकिस्तान अब भी आतंक फंडिंग के खतरे से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। यदि उसने जल्द आवश्यक सुधार नहीं किए, तो उसे दोबारा ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है।
पेरिस में हुई बैठक में उठी सख्त आवाज
जानकारी के अनुसार, पेरिस में आयोजित एफएटीएफ के अधिवेशन में 200 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान कई देशों को ग्रे लिस्ट से हटाने का निर्णय लिया गया, लेकिन पाकिस्तान को लेकर कड़ी टिप्पणी सामने आई। एफएटीएफ की अध्यक्ष एलिसा डे अंडा माद्राजो ने कहा, “किसी देश का ग्रे लिस्ट से बाहर आना इसका मतलब नहीं है कि वह आतंक फंडिंग से सुरक्षित हो गया है।” उन्होंने साफ कहा कि ऐसे देश अब भी अपराधियों या आतंकवादियों की फंडिंग के लिए संवेदनशील लक्ष्य बने हुए हैं।अध्यक्ष ने यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान अभी भी एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) की निगरानी सूची में है और उसे वित्तीय पारदर्शिता व आतंक फंडिंग नियंत्रण पर सख्ती से काम जारी रखना होगा।
2018 में ग्रे लिस्ट में आया था पाकिस्तान
पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था, जब उस पर आतंकियों को फंडिंग देने और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकामी के आरोप लगे थे। लंबे समय तक निगरानी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद वह 2022 में सूची से बाहर आया था। लेकिन अब एफएटीएफ की ताज़ा चेतावनी से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान की स्थिति फिर से चिंता का विषय बन रही है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, अगर पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट या हाई रिस्क कैटेगरी में डाला गया, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग, निवेश और व्यापार पर गंभीर असर पड़ सकता है।
डिजिटल रास्तों से भारत में पहुंच रहा आतंकी पैसा
एफएटीएफ ने जुलाई 2025 की रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भारत में हुए कुछ आतंकी हमलों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के जरिए खरीदे गए थे। जांच एजेंसियों ने पाया कि आतंकी संगठन अब सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स और क्राउडफंडिंग साइट्स के माध्यम से धन जुटा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल माध्यमों से बढ़ती इस फंडिंग की प्रवृत्ति दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए नया खतरा बन सकती है।