Vijay Shah Case: भोपाल लैब में वीडियो की सत्यता जांचने की फैसिलिटी नहीं, विजय शाह को राहत लेकिन व्यवस्था पर उठे सवाल

Vijay Shah controversial comment case
मध्यप्रदेश। मंत्री विजय शाह मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद शाह को दो बड़ी राहत मिली - पहली यह कि, उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी और दूसरा कि, अब हाई कोर्ट इस मामले को नहीं सुनेगा। मंत्री विजय शाह मामले की सुनवाई अब जुलाई में होगी।
अदालत ने एसआईटी को जांच के लिए थोड़ा और समय दे दिया है क्योंकि 6 दिन में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की टीम वीडियो की सत्यता की पुष्टि ही नहीं कर पाई हैं। हालांकि विजय शाह अलग - अलग वीडियो में अपने बयान के लिए माफी मांग चुके हैं लेकिन अब भी एसआईटी वीडियो की सत्यता जांच रही है।
SIT की स्टेटस रिपोर्ट जो सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई, उसमें कहा गया है कि, 'बयानों के वीडियो भोपाल FSL को भेजे थे लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वापस आ गए। एक पत्रकार का मोबाइल CFSL को भेजा गया है। अभी तक 7 गवाहों के बयान हुए हैं। घटना से संबंधित वीडियो और मीडिया रिपोर्टस का अध्ययन किया है। मंत्री विजय शाह के माफी वाले बयान की भी जांच की जा रही है।'
बड़ा सवाल : भोपाल FSL के पास वीडियो जांच के संसाधन भी नहीं
राजधानी भोपाल की फोरंसिक साइंस लैब के पास अगर एक छोटे से वीडियो की जांच के लिए संसाधनों की कमी है तो यह व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े करता है। इस मामले में भोपाल एफएसएल से संपर्क करने की कोशिश की गई है जैसे ही कोई जवाब आता है उसे इसी खबर में अपडेट किया जाएगा।
इस केस की पूरी टाइमलाइन :
मई 13 - मंत्री विजय शाह का बयान वायरल हुआ। वे महू में जनजातीय समुदाय सहयोग और श्रमदान करने वाली महान भीली परम्परा ‘’हलमा’’ का जागरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। उन्होंने मंच से कर्नल कुरैशी के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्द उपयोग किए थे। जिसे स्वदेश ने न दिखाने का निर्णय लिया था।
14 मई - विवाद बढ़ा, वीडियो वायरल होने पर कांग्रेस ने मंत्री विजय शाह का इस्तीफा मांगा। साथ ही प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी।
14 मई - विजय शाह के वीडियो वायरल होने के 24 घंटे बाद भी जब एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई तो मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया। अदालत ने आदेश दिया कि, मंत्री विजय शाह पर गंभीर आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया जाए। जस्टिस अतुल श्रीधरन की बेंच ने नाराजगी जताते हुए भाजपा मंत्री विजय शाह के खिलाफ 14 मई की शाम तक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
14 मई - मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह पर शाम तक FIR हो गई। धारा 152, 196 (1) (बी) और 197 (1) (सी) के तहत दर्ज की गई लेकिन एफआईआर में मंत्री के नाम के आगे 'श्री' का उपयोग हुआ और एफआईआर में जुर्म का भी कोई जिक्र नहीं था।
15 मई - मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज FIR की खामियां उजागर हुई। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि, एफआईआर बड़े ही कैजुअल मैनर में लिखी गई है। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि, मामले की जांच की निगरानी भी अदालत करेगा। मामले की अगली सुनवाई छुट्टियों के बाद होगी।
15 मई - सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि, मंत्री विजय शाह इस्तीफा नहीं देंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव ने घोषणा कर दी कि, - न्यायालय जो कहेगा हम उस लाइन पर चलेंगे।
15 मई - मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने हाईकोर्ट के FIR वाले आदेश को चुनौती दे दी।
15 मई - मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार मिली हालांकि अदालत ने सुनवाई के लिए हामी भर दी।
16 मई - मंत्री विजय शाह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 19 मई तक स्थगित कर दी।
19 मई - MP के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम से भी फटकार मिली। अदालत ने SIT को जांच का जिम्मा सौंपा और कहा था कि, विजय शाह के बयान से पूरा देश शर्मिन्दा है।
19 मई - मंत्री विजय शाह केस में जांच के लिए SIT का गठन कर दिया गया। एसआईटी में IG सागर जोन प्रमोद वर्मा, डीआईजी SAF कल्याण चक्रवर्ती और डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह को शामिल किया गया। DGP कैलाश मकवाना ने 19 मई की देर रात एसआईटी का गठन किया।
23 मई - कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद मंत्री विजय शाह ने एक बार फिर माफी मांगी। इस बीच वे किसी कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए और न ही किसी कार्यक्रम में दिखाई दिए।
28 मई - मंत्री विजय शाह मामले पर SIT ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी। जांच के लिए और समय मांगा गया था जो मिल गया।
