नींव रखने के बाद बाबरी जैसी मस्जिद के लिए आया इतना चंदा...नोट गिनने को बुलाई मशीन, माहौल बिगाड़ने का प्रयास?
पंश्चिम बंगाल में TMC के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी जैसी मस्जिद का 6 दिसंबर के दिन शिलान्यास किया। इसके बाद अपने सोशल मीडिया में राजनीतिक विवाद में बदल गया।
कोलकाताः देश में बाबरी मस्जिद को लेकर 500 सालों तक चले विवाद की लो अभी बुझी भी नहीं है कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में फिर बाबरी जैसी मस्जिद की नींव रखी गई। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में टीएमसी के विधायक हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को बाबरी जैसी मस्जिद की नींव रखी। बाबरी विध्वंस के साल पूरे होने पर मस्जिद की नींव रखी गई थी। हुमायूं कबीर के नींव रखने के बाद इसके निर्माण के लिए जुटाए चंदे का वीडियो सामने आया है।
दरअसल, हुमायूं कबीर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग नोट गिनते नजर आ रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह दावा किया जा रहा है कि नींव रखने के दौरान 11 पेटी चंदा इकट्ठा हुआ है। इसमें इतना चंदा आया है कि इसको गिनने के लिए 30 लोग और नोट गिनने की मशीन लगानी पड़ी।
निलंबित विधायक का नया ऐलान
बाबरी जैसी मस्जिद की आधारशिला रखने के बाद टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने रविवार के दिन नया ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि फरवरी में एक लाख लोगों से कुरान का पाठ कराएंगे। इसके बाद बाबरी मस्जिद का निर्माण शुरू होगा। निलंबित विधायक ने कहा कि वह जल्दी ही एक नई पार्टी बनाएंगे। जो सिर्फ मुसलमानों के लिए काम करेगी।
मस्जिद को लेकर क्यों भड़का विवाद
दरअसल, पूरा विवाद नवंबर 2024 में हुआ था। तब हुमायूं कबीर ने अयोध्या वाली बाबरी मस्जिद की छोटी प्रतिकृति बनाने की बात कही थी। जब बाबरी नाम के उपयोग को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। तब उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद मुसलमानों के लिए भावनात्मक मुद्दा है।
यह मामला शांत हुआ नहीं था कि दिसंबर 2024 में बीजेपी नेता शंकर घोष ने मुर्शिदाबाद में राम मंदिर बनाने की बात कही। हालांकि उन्होंने कहा कि राम मंदिर को मस्जिद के जवाब के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। मंदिर संस्कृति का हिस्सा है, जबकि बाबरी मस्जिद का एक खराब इतिहास है, ये बंगाल में कैसे बन सकती है।
एक तरफ जहां एक बार फिर बाबरी जैसी मस्जिद के निर्माण को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। बाबरी विध्वंस की बरसी के दिन आयोजित कार्यक्रम पहले ही संवेदनशील माना जा रहा है। वहीं, विवादों के बाद भी कबीर पीछे हटते नजर नहीं आ रहे हैं। उनका एक्शन और नया ऐलान जानबूझकर माहौल गर्म करने की कोशिश करार दिया जा रहा है।