Ghushmeshwar Mahadev Mandir: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है घुश्मेश्वर महादेव मंदिर, जहां स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव
Rajasthan Ghushmeshwar Mahadev: देश में कई अनोखे मंदिर बने हुए है, जिनके बारे आज किसी को ये नहीं पता कि किसने इन मंदिरों में मूर्तियों को विराजमान किया। इसको लेकर मंदिरों के आस-पास रहने वाले लोगों की मान्यता है कि इन मंदिरों में प्रतिमाओं को किसी ने विराजमान नहीं किया था, बल्कि वे स्वयं प्रकट हुई थी। इन मंदिरों को लेकर लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है, जिसकी वजह से उनकी पूजा की जाती है। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर राजस्थान में मौजूद है, जिसके बारे में जानेंगे...
घुश्मेश्वर महादेव मंदिर में स्वयं प्रकट हुए शिवलिंग
राजस्थान के सवाई माधोपुर के शिवाड़ गांव में शिवलिंग स्वयं प्रकट हुई थी। जिसका नाम घुश्मेश्वर महादेव पड़ा, ये राजस्थान एक ऐसा मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव के प्रति भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है। सवाई माधोपुर का घुमेश्वर महादेव मंदिर को अपनी अनोखी और विशेष मान्यताओं को लेकर जाना जाता है। ये मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम और सबसे रहस्यमई स्थान माना जाता है।
घुश्मेश्वर महादेव की अनोखी कथा
राजस्थान का घुमेश्वर महादेव मंदिर को लेकर एक कथा बहुत प्रसिद्ध है। जिसमें एक सुदेहा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था, जिसका नाम सुधर्मा था। संतान ना होने पर सुधर्मा ने अपने पति का विवाह अपनी बहन घुश्मा से करवा दिया गया। जो एक शिव भक्त थी, जिसकी भक्ति की वजह से महादेव ने उसे पुत्र प्रदान किया। जिसमें ईर्ष्यालु में आते सुदेहा ने पुत्र की हत्या कर दी और उसके शव को उसी तालाब में फेंक दिया।
घुश्मेश्वर मंदिर कैसे पड़ा नाम?
जहां पर घुश्मा शिवलिंग का विसर्जन करती थी, लेकिन घुश्मा की भक्ति और शक्ति की वजह से महादेव प्रसन्न थे। जिसकी वजह से जब घुश्मा तालाब से लौट रही थी, तब उनको तालाब किनारे पुत्र जीवित अवस्था में बाहर निकल कर आ गया। तब महादेव ने उसकी बहन को दंड देने को कहा तब घुश्मा ने उन्हें उसे माफ करने की याचना की और महादेव को हमेशा के लिए निवास करने का वरदान मांगा, तब से ही महादेव वहां विराजमान है। घुश्मा के नाम पर इस मंदिर का नाम घुश्मेश्वर मंदिर पड़ा।