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पूरी दुनिया के मुसलमानों का हो रहा है मजहब से मोहभंग

डॉ. अमित झालानी

Update: 2022-01-04 11:36 GMT

वेबडेस्क। हाल ही शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमेन वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म को अपना लिया है। वसीम रिजवी के तुरंत बाद 11 दिसंबर 2021 को फिल्म निर्माता अली अकबर खान ने भी पत्नी सहित इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाने की घोषणा कर दी। यह इस बात का प्रतीक है कि 2019 में उत्तरी अमरीका से प्रारंभ हुआ इस्लाम छोड़ने का ट्रेंड आज पूरी दुनियाँ में फैल रहा है।

मुसलमानों को अल्लाह पर भरोसा नहीं -

"एक्स-मुस्लिम्स ऑफ नॉर्थ अमेरिका" नाम के संगठन द्वारा "ऑसमविदाउटअल्लाह" हैशटैग के साथ अभियान चलाया गया और यह दावा किया गया कि अमरीका में पले-बढ़े एक-चौथाई मुस्लिम इस्लाम छोड़ चुके हैं। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी इस्लाम छोड़ चुके पूर्व-मुस्लिमों ने एक संगठन बनाया है जो जिहादी लोगों के द्वारा जान से मारे जाने के भय से चुपचाप काम करता है। इस संगठन के ऑस्ट्रेलिया में 70 सक्रिय सदस्य हैं। दुनियाँ के सबसे बड़े मुस्लिम मुल्क इन्डोनेसिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती का इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाना भी काफी सुर्खियों में रहा। वाशिंगटन स्थित प्रतिष्ठित प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण के अनुसार 6 प्रतिशत भारतीय मुसलमानों को अल्लाह पर भरोसा नहीं है।

इस्लाम में सुधार की कोई सम्भावना नहीं - 

इस्लाम छोड़कर नास्तिक बने एक एक्स-मुस्लिम अमन हिन्दुस्तानी अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं- "मेरे इस्लाम छोड़ने की वजह ये है कि जब मैंने कुरान को पढ़ा तो उसमे बहुत-सी मानवता विरोधी आयतें पाईं। और, सबसे बड़ी विडम्बना ये है कि इस्लाम में सुधार की कोई सम्भावना नहीं है और इसमें अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है और ऐसी बहुत सी बुराइयां हैं जिसकी वजह से मैंने इस्लाम छोड़ा"

  • इस संदर्भ में बीते दिनों हुई कुछ घटनाओं पर एक नजर डालते हैं- 
  • (1) पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने एक श्रीलंकाई व्यक्ति की सिर्फ इसलिए पीट पीट कर हत्या कर दी क्योंकि वह उनके मजहबी विचार से सहमत नहीं था।
  • (2) सी.डी.एस जनरल बिपिन रावत की शहादत पर अपने ही देश के कुछ मुस्लिम कट्टरपंथीयों ने खुशी मनाई
  • (3) सिर्फ एक अफवाह पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश में अनेकों मंदिरों और 20 से भी ज्यादा हिन्दू घरों को आग लगा दी और अन्य कई हिन्दू घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
  • (4) तालिबानी शासन आते अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों को लूट, हत्या और बलात्कार की खुली छूट।

शिक्षित मुसलमान घुटन में जी रहा - 

देश और दुनिया का शिक्षित मुसलमान इस कट्टरपंथी सोच के कारण अब घुटन महसूस करने लगा है और सुधार की बात करने पर उसे अपने ही समाज में विरोध झेलना पड़ता है। इसी वजह से वह मौका पाकर किसी तरह इस संकुचित दायरे से बाहर निकलने को आतुर है। यह सोच सिर्फ सेलिब्रिटीज़ तक ही सीमित नहीं है। आम मुस्लिम व्यक्ति भी 21 वीं सदी में दुनियाँ के उन्मुक्त विचारों के साथ कदमताल करने के लिए अब इस चंगुल से निकल जाना चाह रहा है और इसलिए किसी एक देश अथवा समाज में ही नहीं वरन पूरी दुनियाँ में ।

पूर्व-मुसलमानों की संख्या में बढ़ोत्तरी - 

जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के इस्लामी-अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर वारिस मजहरी एक इंटरव्यू में कहते हैं, ''देश में पूर्व-मुसलमानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन उत्पीड़न के डर से खुलकर सामने नहीं आते। कुछ लोग पूर्व-मुस्लिम बन रहे हैं क्योंकि वे राजनीतिक इस्लाम की मान्यताओं से तंग आ चुके हैं"। 6 दिसंबर 2021 को नया नाम जितेंद्र सिंह त्यागी अपनाने के बाद से ही वसीम रिजवी को भी बहुत से फतवों और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। समाज सुधार के पक्षधर रहने के कारण रिजवी को पूर्व में भी बहुत से विरोधों का सामना करना पड़ा और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं पाकर ही उन्होंने धर्म परिवर्तन का फैसला किया।

रफ़्तार पकड़ेगा मोहभंग - 

'रसूल की गुस्ताखी' के नाम पर हो रही गैर-मुस्लिमों की हत्याओं और उत्पीड़न ने इस्लामिक स्कॉलर्स में इस बात पर बहस छेड़ दी है कि 'तौहीन-ए-अल्लाह' का कानून कुरान-शरीफ के मुताबिक है भी या नहीं? पैगंबर मोहम्मद तो उनका अपमान करनेवालों को भी बर्दाश्त करते थे, और बड़ी दरियादिली से उनकी मदद भी करते थे। मुस्लिम समाज में यह जो विमर्श चला है उससे लगता है कि यदि कट्टरपंथी सोच में बदलाव नहीं आता है तो मजहब से हो रहा यह मोहभंग रफ्तार पकड़ सकता है।

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