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कानपुर मेट्रो: आईआईटी से मोतीझील के बीच सिग्नल लगाने का काम पूरा, सिग्लनिंग सिस्टम का परीक्षण शुरू

Update: 2021-10-14 12:23 GMT

कानपुर। कानपुर मेट्रो के प्रयॉरिटी कॉरिडोर के 09 किमी0 (आईआईटी-मोतीझील) पर अगले माह नवम्बर में ट्रायल रन प्रस्तावित है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सिग्गनलिंग सिस्टम की टेस्टिंग का काम शुरू कर दिया गया है। गुरुदेव चौराहे पर स्थित मेट्रो डिपो में पहले ट्रेन सेट को टेस्टिंग के लिए तैयार किया जा रहा है और ट्रेन की टेस्टिंग से पूर्व सिग्नलिंग सिस्टम को चार्ज कर परीक्षण की प्रक्रिया चालू कर दी गई है। इस प्रक्रिया को 'सिग्नलिंग पावर ऑन टेस्ट' बोला जाता है।


मेट्रो डिपो और मेनलाइन पर सिग्नल इन्स्टॉल करने का काम लगभग पूरा

मेट्रो डिपो में कुल 29 सिग्नल लगने हैं, जिनमें से 27 को इन्स्टॉल कर दिया गया है। वहीं लगभग 09 किमी. लंबी मेनलाइन पर कुल 43 सिग्नल लगने हैं, जिनमें से 35 को इन्स्टॉल कर दिया गया है। अब सिर्फ मोतीझील स्टेशन पर सिग्नल लगाने का काम चल रहा है, बाकी 08 मेट्रो स्टेशनों और मेट्रो ट्रैक पर सिग्नल लगा दिए गए हैं।

मेट्रो ट्रेन को मिलेंगे इन रंगों के सिग्नल

मेट्रो ट्रैक पर लगे सिग्नलों में तीन रंग होंगे। लाल, बैंगनी (वॉयलेट) और हरा। लाल रंग, ट्रेन को रुकने का संकेत देगा, जबकि बैंगनी रंग का सिग्नल होने पर ट्रेन को एक निर्धारित गति सीमा पर आगे बढ़ने की अनुमति होगी। इस रंग का संकेत तब मिलता है, जब ट्रैक पर कुछ ही दूरी पर दूसरी ट्रेन भी मौजूद हो। हरा रंग, आगे का रूट पूरी तरह से क्लियर होने का संकेत देगा और ट्रेन अपनी पूरी गति के साथ आगे बढ़ सकेगी।

डिपो में ट्रेन के मूवमेंट के निर्धारण के लिए सफेद रंग का भी सिग्नल होता है। इस सिग्नल में लगीं तीन लाइटों में दो, जब ऊर्ध्वाकार (हॉरिजॉन्टल) जलती हैं तब ट्रेन के लिए रुकने का संकेत होता है और जब दो लाइटें 45 डिग्री के कोण पर जलती हैं, तब ट्रेन के लिए चलने का संकेत होता है। इस सिग्नल को 'शन्ट सिग्नल' कहा जाता है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) ने कुमार केशव की ओर से दी गई है।

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