पूरा देश आपसे शर्मिंदा है: MP के मंत्री विजय शाह को 'सुप्रीम फटकार', SIT को जांच का जिम्मा, क्या अब इस्तीफा लेगी सरकार
मध्यप्रदेश। डॉ. मोहन यादव सरकार के केबिनेट मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर फटकार लगाई है। अदालत ने माफीनामा नामंजूर किया, एसआईटी बनाई और साथ ही साथ यह भी कह दिया कि, 'पूरा देश आपसे शर्मिंदा है।' अदालत की सुनवाई के बाद विजय शाह के सिर से गिरफ्तारी की तलवार को हट गई है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार अब विपक्ष द्वारा घिरती नजर आ रही है। ऐसे में यह बड़ा सवाल बन गया है कि, क्या अब सीएम मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार मंत्री विजय शाह से इस्तीफा लेगी।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कांत ने कहा - 'याचिकाकर्ता (मंत्री विजय शाह) के बयानों और एफआईआर को देखने के बाद, हम इस राय पर पहुंचे हैं कि इस एफआईआर की जांच एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए। SIT में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हों, जो एमपी कैडर के नहीं हों लेकिन एमपी में हों।'
एसआईटी में एक सदस्य महिला अधिकारी होनी चाहिए
अदालत ने मंगलवार तक एसआईटी का गठन करने के आदेश दिए हैं। इसमें एक सदस्य महिला अधिकारी होनी चाहिए - यह बात भी अदालत ने कही है। एसआईटी के अन्य दोनों सदस्य पुलिस अधीक्षक के पद से ऊपर के होंगे। SIT मुख्य सदस्य आईजी या डीजीपी से नीचे का नहीं होगा यह बात भी अदालत द्वारा स्पष्ट की गई है।
छुट्टियों के पहले सप्ताह में मामले की सुनवाई की जाए
फिलहाल मंत्री विजय शाह की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि, अदालत मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में जांच की निगरानी करने के इच्छुक नहीं हैं लेकिन एसआईटी को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी जांच के नतीजे अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तुत करे। पहली रिपोर्ट दाखिल की जाए और छुट्टियों के पहले सप्ताह यानी 28 मई में मामले की सुनवाई की जाए।
मंत्री विजय शाह पर निर्भर है कि वे खुद को कैसे सुधरेंगे
अदालत ने इस मामले में सख्त लहजा अपनाते हुए कहा कि, 'पूरा देश आपसे शर्मिंदा है। यह आप पर निर्भर है कि आप खुद को कैसे सुधारते हैं। हमने कोई निर्देश नहीं दिया है। यह कहना कि हाईकोर्ट ने आपको दोषी ठहराया है, सही नहीं है.. उसने केवल प्रथम दृष्टया कहा है।'
न्यायालय के आदेशों से किसी को नुकसान नहीं होगा
भारत एक ऐसा देश हैं जो कानून के शासन में विश्वास करता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। न्यायाधीश किसी के खिलाफ पूर्वाग्रह नहीं रखते। इस न्यायालय के आदेशों से किसी को नुकसान नहीं होगा। यही स्थापित सिद्धांत है। राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों पर बहुत अधिक बोझ है। ये एसआईटी हमने ही बनाई थी और यह कारगर साबित हुई है।
अदालत को SIT बनाने की जरुरत क्यों पड़ी
बता दें कि, मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस मामले में पुलिस द्वारा जिस तरह से FIR लिखी गई उसे लेकर भी अदालत ने सवाल उठाए थे। एफआईआर में ही मंत्री के नाम के आगे दो बार 'श्री' लिखा था। ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की तो उन्होंने कहा कि, 'एफआईआर दर्ज होने के बाद अगला कदम जांच है। आरोपी और जांच अधिकारी के कद में अंतर देखिए।'
इस तरह अदालत ने इस बात पर आरोपी और जांच अधिकारी के कद में अंतर को देखते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों से बनी एसआईटी को जांच का जिम्मा सौंपा है।
गौरतलब है कि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि, अदालत के निर्णय के अनुसार वे काम करेंगे। हालांकि विपक्ष लगातार मंत्री विजय शाह के इस्तीफे की मांग कर रहा है। जिस तरह से अदालत ने मंत्री शाह को फटकार लगाई है और उनके बयान को शर्मिंदगी भरा बताया है वह सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकता है।