राग-रंग और सद्भाव के साथ शुरू हुआ तानसेन समारोह 2025, 114 कलाकार देंगे प्रस्तुती
ग्वालियर में 101वें तानसेन समारोह की पारंपरिक शुरुआत। 114 कलाकार देंगे प्रस्तुति, हरिकथा, मिलाद और शहनाई से हुआ आगाज।
ग्वालियर की फिज़ा में एक बार फिर सुर घुल गए हैं हरिकथा की स्वर लहरियां, मिलाद की गूंज, शहनाई की मधुर तान और चादरपोशी के साथ अखिल भारतीय तानसेन समारोह 2025 का पारंपरिक शुभारंभ हो गया। सोमवार सुबह हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में जब अलग-अलग धर्मों के कलाकार एक साथ मंच पर आए, तो यह आयोजन फिर से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन गया।
15 से 19 दिसंबर तक संगीत का महाकुंभ
इस वर्ष तानसेन समारोह का 101वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम 15 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। औपचारिक उद्घाटन सोमवार शाम तानसेन समाधि परिसर में होगा इस बार समारोह स्थल पर ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर की थीम पर भव्य मंच तैयार किया गया है। इसी मंच से देश-दुनिया के नामचीन कलाकार सुर सम्राट तानसेन को अपनी स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
शहनाई से शुरुआत, ढोलीबुआ महाराज का संदेश
सुबह सबसे पहले उस्ताद मजीद खां और उनके साथियों ने रागमय शहनाई वादन से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद नाथपंथी संत ढोलीबुआ महाराज ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन दिए। उनके द्वारा प्रस्तुत भजन भजन बिन तीनों पन बिगड़े ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हरि-मिलाद कथा, चादरपोशी और कव्वाली
प्रवचन के बाद हरि-मिलाद कथा के साथ तानसेन के मकबरे पर पारंपरिक चादरपोशी की गई. इसके बाद कव्वाली का आयोजन हुआ ।
देश-विदेश से आएंगे 114 कलाकार
उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक प्रकाश सिंह ठाकुर ने बताया कि इस बार समारोह में देशभर से कुल 114 कलाकार प्रस्तुति देंगे. इनमें पद्मविभूषण, पद्मश्री और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित दिग्गज संगीतज्ञ शामिल हैं।
सम्मान समारोह भी होगा खास
शाम 6:30 बजे समारोह के शुभारंभ के साथ ही तानसेन समाधि स्थल पर राष्ट्रीय तानसेन सम्मान दिया जाएगा. 2024 का सम्मान पं. राजा काले (मुंबई) को गायन और 2025 का पं. तरुण भट्टाचार्य (कोलकाता) को संतूर वादन के लिए दिया जाएगा। इसके बाद राजा मानसिंह तोमर सम्मान 2024 साधना परमार्थिक संस्थान समिति, मंडलेश्वर और साल 2025 का सम्मान रागायन संगीत समिति, ग्वालियर को दिया जाएगा.
गमक में सजी सूफी शाम
तानसेन समारोह की परंपरा के अनुसार, एक दिन पहले यानी 14 दिसंबर को इंटक मैदान में सुगम संगीत सभा हुई। इसमें प्रसिद्ध गायिका जसपिंदर नरूला ने सूफी गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। ग्वालियर में तानसेन समारोह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि संगीत, परंपरा और एकता का संगम है। अगले कुछ दिनों तक हजीरा में रागों की यह धारा यूं ही बहती रहेगी।