MP News: मंत्री विजय शाह केस में जांच के लिए SIT का गठन, इन तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों को मिली जिम्मेदारी

Update: 2025-05-19 23:30 GMT

मध्यप्रदेश। मंत्री विजय शाह केस में जांच के लिए SIT का गठन कर दिया गया है। एसआईटी में IG सागर जोन प्रमोद वर्मा, डीआईजी SAF कल्याण चक्रवर्ती और डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मंत्री विजय शाह की माफी नामंजूर करते हुए SIT गठन के आदेश दिए थे। DGP कैलाश मकवाना ने देर रात एसआईटी का गठन किया।

आईपीएस प्रमोद वर्मा : 2001 के आईपीएस अधिकारी प्रमोद वर्मा सागर रेंज के IG हैं। फरवरी 2018 में उन्हें यह जिम्मेदारी मिली थी। वहीं 2022 में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया था।

डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती : 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती भोपाल PHQ में SAF हैं। वे दतिया और खरगोन के एसपी रह चुके हैं। 2020 में उन्हें सीबीआई में SP भी बनाया गया था।

डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह : 2014 बैच की आईपीएस अधिकारी डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह मूल रूप राजस्थान की रहने वाली हैं। वे पहले निवाड़ी जिले में एसपी रह चुकी हैं। वाहिनी सिंह की पहचान एक सख्त हुए ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह की याचिका पर सुनवाई की थी। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी। यह एफआईआर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के आदेश के बाद दर्ज की गई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणियां कीं और मंत्री विजय शाह के माफीनामे पर सवाल उठाए।

मंत्री के माफीनामे पर कोर्ट की नाराजगी

मंत्री विजय शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी है और 15 मई के आदेश के खिलाफ दूसरी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है। हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत ने माफीनामे की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, "यह माफी क्या है? हम देखना चाहते हैं कि आपने किस तरह की माफी मांगी है। 'माफी' शब्द का एक अर्थ होता है। कभी-कभी परिणामों से बचने के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाए जाते हैं। आपकी माफी किस तरह की है? आपने जो भद्दी टिप्पणी की, वह पूरी तरह बिना सोचे-समझे थी।"

जस्टिस कांत ने आगे कहा, "आप एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं, एक अनुभवी राजनेता हैं। आपको बोलते समय अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए। आप उस स्थिति में थे, जहां आप अपमानजनक और बहुत गंदी भाषा का इस्तेमाल करने वाले थे, लेकिन किसी ने आपको रोक दिया। यह सशस्त्र बलों के लिए गंभीर मुद्दा है। सेना के लिए हम कम से कम इतना तो कर सकते हैं, जो अग्रिम मोर्चे पर हैं। अगर यह माफीनामा आपका सच्चा खेद है, तो हम इसे सिरे से खारिज करते हैं। यह परिणामों से बचने का प्रयास है।"

"आपने भावनाओं को ठेस पहुंचाई"

कोर्ट ने शाह के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने वह वीडियो देखा है, जिसमें यह टिप्पणी की गई थी। जस्टिस कांत ने कहा कि शाह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि उनकी टिप्पणी ने भावनाओं को ठेस पहुंचाई। जब मनिंदर सिंह ने कहा कि शाह बिना किसी अस्पष्टता के माफी मांगने को तैयार हैं, तो जस्टिस कांत ने जवाब दिया, "हम यह आप पर छोड़ते हैं कि आप क्या करना चाहते हैं। लेकिन आप यह संदेश देना चाहते हैं कि आपने कोर्ट के दबाव में माफी मांगी। आपको स्वत: कुछ करना चाहिए था।"

राज्य सरकार और एफआईआर पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से एफआईआर से जुड़े घटनाक्रमों पर सवाल उठाए। जस्टिस कांत ने कहा, "मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और आपकी एफआईआर को फिर से लिखना पड़ा। आपने क्या किया? क्या इस बात की जांच की गई कि कोई संज्ञेय अपराध बनता है या नहीं? लोगों को उम्मीद है कि राज्य की कार्रवाई निष्पक्ष होगी। हाई कोर्ट ने अपना कर्तव्य निभाया और स्वत: संज्ञान लिया।"

तीन आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने निर्देश दिया था  कि इस टीम में एक अधिकारी आईजी या डीजीपी रैंक का होना चाहिए और सभी अधिकारी मध्यप्रदेश के बाहर के होने चाहिए। जस्टिस कांत ने कहा, "यह एक लिटमस टेस्ट है। हम चाहते हैं कि राज्य एसआईटी की रिपोर्ट हमें सौंपे। हम इस मामले पर कड़ी नजर रख रहे हैं।" इस तरह 28 मई तक पहली रिपोर्ट देनी होगी। जांच की निगरानी कोर्ट खुद करेगा।

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