गड़बड़झाला: परिवहन विभाग में और कितने सौरभ शर्मा? संपत्तियां क्यों छुपा रहे अधिकारी
परिवहन विभाग में और कितने सौरभ शर्मा? संपत्तियां क्यों छुपा रहे अधिकारी
हाइलाइट्स :
पोर्टल से हटा विभागीय कर्मियों का संपत्ति विवरण ।
संपत्ति विवरण अपलोड किए जाने में हुई गड़बड़ियां।
भोपाल। परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति मिलने के बाद परिवहन विभाग के पोर्टल से अधिकारियों-कर्मचारियों का संपत्ति विवरण दर्शाने वाला 'लिंक' कॉलम को ही गायब कर दिया गया है। 'स्मार्ट चिप' कंपनी से काम हटने के बाद भी इस पोर्टल के कई कॉलम और जानकारियां तो अपडेट हो रही हैं लेकिन महत्वपूर्ण जानकारियां 10 साल से अपडेट नहीं हुईं। वहीं कई महत्वपूर्ण लिंक हटा दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश परिवहन विभाग का अधिकारिक पोर्टल 'मध्यप्रदेश परिवहन विभाग' है। इसे पिछले करीब दो दशक से ठेके पर 'स्मार्ट चिप' कंपनी के कर्मचारी चला रहे थे। इसमें विभाग की विभिन्न योजनाएं, सूचनाएं और सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध थीं।
सम्पूर्ण विभागीय संरचना इस पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध थी, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा विभाग को दिए जाने वाले चल - अचल संपत्ति के विवरण पत्रों को स्केन कर अपलोड किए जाने का कॉलम भी था, जिसे क्लिक कर किसी भी अधिकारी-कर्मचारी की संपत्ति को देखा जा सकता था। अब इस लिंक कॉलम को ही पोर्टल से हटा दिया गया है।
केन्द्रीय पोर्टल 'सारथी' से जुड़ा विभाग
मध्यप्रदेश परिवहन विभाग अब केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पोर्टल 'सारथी' से जुड़ गया है। हालांकि विभाग ने पुराना पोर्टल 'मध्यप्रदेश परिवहन विभाग' भी अभी चालू रखा है। इस पर कई जानकारियां अब भी अपडेट हो रही हैं। इसके लिए पुरानी कंपनी के ही कर्मचारियों को संविदा पर रखा गया है।
आरटीओ और आरटीआई छुपाते रहे संपत्तियां
विभागीय पोर्टल पर संपत्ति विवरण अपलोड किए जाने को लेकर भी गड़बड़ियां हुईं। आरटीओ अथवा मैदानी पदस्थाना वाले आरटीआई, टीएसआई, एटीएसआई सहित कई छोटे कर्मचारियों के संपत्ति विवरण विगत दो दशक में अपलोड ही नहीं किए गए। हालांकि यह काम विभागीय बाबुओं बाबुओं और कंपनी की सांठगांठ से हुआ। अवैध कमाई से संपत्तियां अर्जित करने वाले अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी संपत्तियों को सार्वजनिक नहीं होने दिया। 2010 से 2014 तक कुछ संपत्ति विवरण अपलोड हुए। 2020 तक यह संख्या बहुत कम और अब इसे पोर्टल से ही गायब कर दिया गया है।