ED Raid: 71 करोड़ रुपए के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले में इंदौर, जबलपुर, भोपाल में ईडी की रेड

Update: 2025-04-28 04:46 GMT

MP ED Raid

ED Raid : मध्यप्रदेश। शराब कारोबारी अफसरों के यहां ईडी द्वारा छापेमारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार ईडी की छापेमारी इंदौर, जबलपुर और भोपाल में जारी है। बताया जा रहा है कि, 71 करोड़ के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले में ईडी टीम आबकारी अफसरों के यहां जांच के लिए पहुंची है। ईडी द्वारा मंदसौर में भी जांच की जा रही है। 

आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले मामले की जांच के लिए ईडी की 18 टीमों ने मध्यप्रदेश के तीन बड़े शहरों में एक - साथ छापेमारी की है। सोमवार तड़के ईडी की टीम जांच के लिए पहुंची है। कड़ी सुरक्षा के बीच आबकारी अफसरों के ठिकानों पर दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

क्या है मामला :

दरअसल, आबकारी अधिकारियों और शराब कारोबारियों के गठजोड़ से फर्जी चालान के जरिए घोटाला किया गया था। इस मामले की शिकायत राजेंद्र गुप्ता नाम के व्यक्ति द्वारा की गई थी। शिकायत मिलने पर ईडी ने एफआईआर दर्ज करके आबकारी आयुक्त से जानकारी मांगी थी। आबकारी आयुक्त के जवाब से ईडी संतुष्ट नहीं हुई थी और बाद में दोबारा पांच बिंदुओं पर जवाब मांगे गए थे।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, मंदसौर में विभिन्न शराब ठेकेदारों के 11 परिसरों में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर रहा है। ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की है। इन ठेकेदारों पर वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी करके सरकारी राजस्व को 49,42,45,615 रुपये का नुकसान पहुंचाने और अवैध रूप से शराब अधिग्रहण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप है। ED इंदौर चालान घोटाले के आरोपी योगेंद्र जायसवाल और विजय श्रीवास्तव के ठिकाने पर जाँच कर रही है। छापेमारी से पहले चालान घोटाले की रिकवरी में 22 करोड़ कैश ही जमा किए थे। संजीव दुबे के सहायक आबकारी आयुक्त रहते समय यह चालान घोटाला हुआ था।

मामले में की गई जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में "रुपये अंकों में" और "रुपये शब्दों में" लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, लेकिन "रुपये शब्दों में" के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। राशि जमा करने के बाद, जमाकर्ता बाद में ऊपर बताए गए रिक्त स्थान में लाख हजार के रूप में बढ़ी हुई राशि लिख देता था, और ऐसी बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर देता था।

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