मां की हत्या कर शव बाथरूम की दीवार में चुनने वाले आरोपी को मृत्युदण्ड: न्यायिक जिला बनने के बाद पहली बार सुनाया गया मृत्युदण्ड का फैसला...
श्योपुर। जिस मां ने पाल-पोषकर बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, उसी मां की जान लेने वाले एक कलियुगी बेटे को जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने मृत्युदण्ड की सजा सुनाई है।
श्योपुर। जिस मां ने पाल-पोषकर बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, उसी मां की जान लेने वाले एक कलियुगी बेटे को जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने मृत्युदण्ड की सजा सुनाई है। श्योपुर के न्यायिक जिला बनने के बाद आरोपी को दिया गया मृत्युदण्ड का यह पहला फैसला है।
शासन की ओर से मामले में पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक राजेन्द्र जाधव ने जानकारी देते हुए बताया कि 6 मई 2024 को रेलवे कॉलोनी श्योपुर निवासी दीपक पचौरी ने कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज कराते हुए रिपोर्ट लिखवाई थी कि उसकी मां ऊषादेवी अस्पताल जाने की कहकर घर से निकली थी जो वापस नहीं लौटी है। इस शिकायत के बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की। पूछताछ के दौरान दीपक पचौरी के बयानों में बदलाव के चलते पुलिस को उस पर शक हो गया। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसने मां की हत्या कर शव बाथरूम की दीवार में चुनवा देना स्वीकार कर लिया।
पुलिस ने आरोपी दीपक पचौरी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने पर धारा 302, 201 भादंवि अपराध पंजीबद्ध कर जेएमएफसी न्यायालय श्योपुर में अभियोग पत्र पेश किया। इसके बाद मामला न्यायालय सत्र न्यायाधीश जिला श्योपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात विचारण के लिए विशेष न्यायालय श्योपुर में अंतरित किया गया। विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश जिला श्योपुर एलडी सोलंकी ने बुधवार 23 जुलाई को आरोपी दीपक पचौरी पुत्र मुवनेंद्र पचौरी निवासी रेलवे कॉलोनी श्योपुर को धारा 302 भादंवि में अपनी मां ऊषादेवी की हत्या के लिए मृत्युदंड (फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए तब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए) एवं एक हजार रुपए के अर्थदंड, सात वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित करने का निर्णय परित किया है।
रुपयों के लालच में बेहरमी से ली थी मां की जान
आरोपी दीपक पचौरी ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि 20 साल पहले मां ऊषादेवी एवं पिता भुवनेन्द्र पचौरी ने अनाथ आश्रम ग्वालियर से उसे गोद लिया था। माता-पिता ने पालन-पोषण व पढ़ाई के साथ-साथ उसे अपनी एफडी में नोमिनी भी बना रखा था। वर्ष 2021 में पिता की मृत्यु के बाद एफडी की राशि 16 लाख 85 हजार रुपए उसने निकाल लिए। जिनमें से 14 लाख शेयर बाजार और सट्टे में बर्बाद कर दिए और शेष राशि 2.85 लाख रुपए भी उसने खर्च कर दिए। मां ऊषादेवी के बैंक खाते में 32 लाख रुपए जमा थे। उसमें भी आरोपी नोमिनी था। दीपक जब भी मां से पैसे मांगता तो मां उसे रुपए देने से इनकार कर देती थी। 6 मई 2024 को सुबह 10:30 बजे जब ऊषादेवी नहाकर तुलसी पर जल चढ़ाने के लिए जीना चढ़ रही थीं तभी आरोपी दीपक ने जीने से धक्का मार दिया। जब मां के प्राण नहीं निकले तो आरोपी ने लोहे की रॉड़ से सिर पर तीन-चार वार किए और अंत में साड़ी से गला घोंटकर मां की जान ले ली। इसके बाद लालरंग के पकड़े में पलेटकर बाथरूम की दीवार में सीमेंट, रेत और ईंटों से चिनाई कर दी। कोतवाली पुलिस ने आरोपी के बताए गए स्थान से शव को बरामद कर आरोपी पर धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया था।