महिला सुरक्षा कानून का दुरुपयोग क्यों?

Update: 2023-07-13 20:52 GMT

पूजा जायसवाल

वर्तमान समय में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ना सिर्फ अक्सर बातें होती है। बल्कि कठोर कानून भी बनाए गए हैं। इन कानूनों में कोई कमी नहीं दिखती। और कानूनों में समय-समय पर परिवर्तन भी किया जाता रहा है। कानून दो धारी हथियार की तरह होते हैं। एक तरफ तो कानून व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की बात करते है, तो वही दूसरी तरफ उन्हीं कानूनों का दुरुपयोग होता देखा जा रहा है। आजकल ऐसे मामलों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, जिसमें कुछ महिलाएं अपनी सुरक्षा से संबंधित कानूनों का दुरुपयोग करने में लगी हुई है। वे किसी भी प्रकार के विवाद में छेड़छाड़, रेप और दहेज का आरोप लगा देती हैं।

हाल ही में एक मामला सामने आया जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी पर सपना गिल नाम की एक महिला ने छेड़खानी का आरोप लगाकर मामला दर्ज कराया बाद में पुलिस के द्वारा इन आरोपों को 'झूठा और निराधारÓ बताया गया। यहां पर इस महिला के द्वारा सुरक्षा कानूनों का दुरुपयोग किया गया है। यह केस सेलिब्रिटीज के जुड़े होने के कारण मीडिया की सुर्खियों में बना रहा ऐसे न जाने कितने मामले है जो लोगों की जानकारी में नहीं आ पाते हैं। कुछ मामले आते भी हैं तो प्रतिकूल मीडिया कवरेज दुखों को बढ़ा देता है, जो आरोप वास्तविक ना होकर गलत कारणों से दर्ज किए गए है।

हम महिलाओं की सुरक्षा की बात तो करते हैं मगर पुरुषों के बारे में बात करना भूल जाते हैं। हम महिलाओं के अधिकारों की बात तो करते हैं लेकिन पुरुषों के अधिकारों की बात करना भूल जाते हैं। हमारे समाज में पुरुषों को महिलाओं के शोषण से बचाने के लिए कोई कानून नहीं है। इस तरह की घटनाओं से पीड़ित व्यक्ति का जीवन मानसिक,भावनात्मक रूप से बुरी तरीके से प्रभावित होता है, और उसका जीवन तिनके की तरह बिखर जाता है।

आज की आधुनिक दुनिया में एक नाटकीय रूपांतरण आया है, जहां महिलाएं और पुरुष दोनों ही स्वतंत्र है। यहां पर दोनों ही अपनी-अपनी कमाई भी कर रहे है। पर महिलाएं ऐसे कानूनों का दुरुपयोग करने में लगी है जो उन को कू्ररता और र्दुव्यवहार से बचाता है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में धारा 498-ए के दुरुपयोग को 'कानूनी आतंकवादÓ कहा था। घरेलू हिंसा के मामले में पुरुषों और उनके परिवारों को सबसे ज्यादा दहेज कानून में फंसाने की धमकी दी जाती है। जब कभी पति-पत्नी में विवाद होता है, तो दोनों में धीरे-धीरे दूरियां बढ़ती चली जाती है तभी कुछ पत्नियों के द्वारा ससुराल वालों को सबक सिखाने के लिए कानून का हथियार के तौर पर दुरुपयोग किया जाता है। और पति, सास, ससुर, देवर, ननद सब के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी जाती है। दहेज उत्पीड़न से जुड़ी आईपीसी की धारा 498 ए के दुरुपयोग की यही कहानी है। ससुराल वालों को सबक सिखाने और प्रताड़ित करने के लिए 498 ए के साथ-साथ आईपीसी की धारा 376 (रेप) तक का इस्तेमाल होने लगा है।

भारत की यह विडंबना है कि घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों पर समाज जल्दी विश्वास नहीं करता, हमेशा ही समाज की नजरों में महिलाओं को असहाय और कमजोर बताया जाता रहा है और महिलाओं को पुरूष से पहले अहमियत दी जाती रही है। जिसके चलते कठिनाइयां और अपमान के इस दौर मैं कुछ पुरुष हार मान लेते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए जो कानून बनाए गए हैं, वही कुछ महिलाएं आज इन कानूनों का दुरुपयोग करने में लगी हुई है। और अपना स्कोर सेटल करने के लिए पति और रिश्तेदारों के खिलाफ अपने अधिकारों का दुरुपयोग टूल किट की तरह कर रही हैं। इन में दहेज कानून आईपीसी की धारा 498-ए सबसे प्रमुख है। इस समस्या के बारे में हमें एक समाज के तौर पर जागरूक होने की आवश्यकता है। पुरुष उत्पीड़न भी एक सच्चाई है जिसके बारे में समाज को कोई ठोस कदम उठाने चाहिए। इस पूरे मसले को पुरुषों की सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। आज जरूरत है कि इन समस्याओं का समाधान निकाला जाए। जिससे पीड़ित पुरुष समाज भी अपने जीवन को शुगम बना सके।

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