सोनिया -क्रिश्चियन, अफ़ीम के सिरे

राम भुवन सिंह कुशवाह

Update: 2023-07-28 21:18 GMT

हर तरफ हल्ला है... मणिपुर जल रहा है। लेकिन कोई नहीं जानना चाहता कि सच क्या है। सच यह है कि विद्यमान भाजपा सरकार ने मणिपुर में अफीम और अराष्ट्रीय तत्वों का धंधा ख़त्म कर दिया है। सरकार ने पिछले 5 साल में 18,000 एकड़ से ज्यादा इलाके में अफीम की खेती नष्ट करवा दी है। जिन्हें नुकसान हुआ, उन्होंने इसे कुकी और मैतेई के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया । शुरू में आम आदमी मारा जा रहा था तब सब चुप थे। फिर सेना ज़मीन पर उतरी.. आतंकवादी मारे गए। चीन को धक्का लगा, विपक्षी भांड लोकतंत्र की दुहाई देने लगे। जब वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये गए तब सब चुप रहे, अब महिलाओं के साथ कथित अभद्रता को लेकर आंख बंदकर चिल्ला रहे हैं और मोदी तथा वीरेंद्र सिंह की सरकार को बदनाम कर रहे हैं। स्वतंत्रता के पूर्व मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैतेईराजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया। धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुुकियो ने मणिपुर की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया और अफ़ीम की खेती करना शुरू कर दिया। मैतेई आदिवासियों को वहां से भगा दिया।

मैतेई आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे। विदेशी कुकी और रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती और अवैध धंधों से उनकी शक्ति अचानक बढ़ने लगी और चीन, बांग्ला देश और अन्य विदेशी ताकतों नें उन्हें मदद देनी आरंभ कर दी। मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरू किया और भारत विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया, पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को धकेल दिया गया। लेकिन सबसे बड़ा षड्यंत्र रचा क्रिश्चियन मिशनरीज ने। मिशनरी ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में 2,000 से अधिक चर्च बनाए और क्रिश्चियन मिशनरीज ने बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैतेई आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन बना दिया गया। मणिपुर में निरंतर हिंसा हो रही थी वर्ष 1981 में भीषण हिंसा हुई इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। 10,000 से अधिक मैतेई आदिवासी मारे गए, उसके बाद इंदिरा गांधी जाग गई और सेना को भेजा गया तथा शांति करवाई गई। शांति समझौते में मैतेई मैदान में रहेंगे और कुकी ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे ऐसा निर्णय हुआ इस कारण शांति बनी। जिससे मूल निवासी मैतेई का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाजों ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती शुरू कर दी। हजारों खेतों में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए तथा जमकर हथियारों की आपूर्ति कर दी गई। वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया तब सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित क्रिश्चियन ओं के साथ मिलकर मैतेई आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर पुलिस कार्रवाई ना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत देश में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा। मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्रायंगल बन गया चीन अफगानिस्तान पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद कर मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर पंजाब आदि राज्यों को नशीले बनाना शुरू कर दिया। आजादी के पहले से ही मेती समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था और वह एसटी वर्ग में आते थे। लेकिन आजादी के बाद, चीन की चमची तत्कालीन केंद्र सरकार ने मेती समाज से एसटी वर्ग से निकाल लिया और क्रिश्चियन मिशनरी तथा कुकी समुदाय को एसटी बना दिया। इस बात से मैतेई नाराज हो गए और निरंतर आक्रोश प्रदर्शन करने लगे। जिस कारण बार-बार मणिपुर में हिंसा हो रही थी। मैतेई समाज ने वर्ष 2010 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग की। वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने मैतेई समाज के दावे को मंजूर किया और मैतेई समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए। चूंकि क्रिश्चियन और कुकी हमलावर अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से नाराज थे, उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा फायदा उठाया और मणिपुर में आग लगा दी। वर्ष 2014 में सरकार नहीं बनती तो चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर कब्जा कर लेता। लेकिन बेहद बुद्धमत्ता पूर्वक मोदी सरकार ने मणिपुर में मूल भारतीयों को उनका अधिकार दिलाना शुरू किया यह बात विरोधियों को खल गई । पिछले 70 सालों से मणिपुर पर कांग्रेस का कब्जा था, ईसाई मिशनरी तथा अराष्ट्रीय गतिविधियों के उत्पात से खुश थे पर अब अपने हाथ से मणिपुर जाने के बाद तथा क्रिश्चियन मिशनरीज का काम रुकने से नाराज सभी विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार को बदनाम कर रहे हैं। वे यह नहीं जानना चाहते कि मणिपुर को हिंसक अराष्ट्रीय तत्वों से मुक्ति अत्यंत आवश्यक है।            (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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