20 वीं शताब्दी में हुए महापुरुषों में एक महापुरुष हैं 'श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी' जिन्हें निष्काम कर्मयोगी, प्रखर राष्ट्रवाद के जागृत पुरुष, पदों से ऊपर प्रतिष्ठा, दूरदृश्टा, विकास पुरुष, प्रशासन की दक्षता एवं पारदर्शिता, संसदीय जीवन में मूल्यों पर अडिग रहने वाले तथा परंपराओं के ऐसे निर्माता जिन्हें विरोधी भी गर्व से स्वीकार करते हैं। इसी कारण उन्हें कालजयी कहा जाता है। एक व्यक्ति में कितने गुण हो सकते हैं जो व्यक्ति को महान बनाते हैं। लेखक, वक्ता, कवि, जनप्रतिनिधि, संगठक, संपूर्ण समर्पण, विचारक, निर्भय साहसी, शरीर और मन की एकाग्रता के प्रतीक, सादगी एवं भारतीय वेशभूषा, जीवन शैली खानपान स्वाद के लिए एक अलग पहचान देने वाले अटल जी 20वीं सदी के महान नायक एवं प्रेरणा पुरुष थे।
मैं जब 1989 में पहले लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचा था तो उन्होंने कहा था, पहली जीत आसान है, पुनरावृति कठिन है। जब मैं दूसरा चुनाव हारा तो उनका वह वाक्य सदैव याद रहता है। यह उनका अनुभव एवं दूरदर्शिता थी जो अगली पीढ़ी को स्पष्टता के साथ निर्देशित करती थी, सचेत करती थी।फिर मैं उनके मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बना तो मुझे कोयला मंत्रालय मिला शपथ के साथ ही विभाग भी घोषित हो गया मैं उन्हें प्रणाम करने झुका तो उनका स्पष्ट निर्देश वाक्य था 'यह काजल की कोठरी है जाते तो साबित है, पर साबित वापस निकलना मुश्किल होता है।' मैं उठा और मैंने कहा आपका विश्वास नहीं टूटने दूंगा। इतिहास गवाह है, कोयला मंत्रालय है, उसका इतिहास है, लेकिन मैं अछूता रह सका तो उसमें सिर्फ और सिर्फ अटल जी का निर्देश, चेतावनी या समझाईश ही थी जिसने मुझे बचा लिया।
मुझे श्रद्धेय अटल जी का स्नेह हमेशा पुत्रवत मिलता रहा, एक बार उनसे पूछा कि कहां है पता नहीं है? मैंने कहा समय के लिए एक बार कोशिश की थी, व्यस्तता में समय नहीं मिल पाया। बात आगे बड़ी तो मैंने कहा ‘हम तो गांव के लोग हैं हमारा कोई कार्य प्रधानमंत्री जी के लायक तो होता नहीं है, आप पहचानते हैं यही हमारी पूंजी है।’ इसके अलावा क्या चाहिए। वास्तव में मैं इसे ही अपनी पूंजी मानता हूं। संसद में पूरे संसदीय जीवन में कभी भी विरोध स्वरूप ‘वेल’ में नहीं गया तो यह प्रेरणा अटल जी की थी, मैं अपनी सीट पर ही बैठा तो यह सीख अटल जी की ही थी, यदि आज तक मैं मर्यादित एवं विषय के साथ खड़ा हूं तो इसके पीछे सामर्थ्य अटल जी ही है।
आज संसद में हम जैसे व्यक्तियों के जो मूल्य हैं उसमें अटल जी के बगैर कुछ भी नहीं है। संसद में ‘कौल एंड सिकधर’ यह अन्य संसदीय नियमों के ज्ञाता हों, परअटल जी की राय नियम भले ना हो पर मर्यादाओं को संरक्षित करती है। क्योंकि संसद नियम और मर्यादाओं दोनों से चलती है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका संकल्प सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा और मूल्यों के लिए वे सदैव स्मरण किए जाएंगे।
मुझे चींटी के समान मध्य प्रदेश की सरकार में मंत्री होने के निमित्त कुछ स्मृतियां संजोने का अवसर मिला की श्रद्धेय अटल जी के जन्म शताब्दी वर्ष में उन्हें ग्रामीण विकास व पंचायत में याद रखा जा सके, क्योंकि प्रधानमंत्री सड़क आवास, किसान क्रेडिट कार्ड, जनजातीय मंत्रालय बनाकर आदिवासियों की चिंता करने वाले, उत्तर पूर्व को समानता देने के लिए उत्तर पूर्व के लिए मंत्रालय देने वाले अटल जी ग्रामीण विकास के हिमायती थे।
मैंने 25 दिसंबर 2024 से 'अटल ग्राम सेवा सदन' के नाम से 2500 से ज्यादा ग्राम पंचायत भवन, 'अटल सुशासन भवन' के नाम से 106 जनपद पंचायत भवन एवं 5 'अटल जिला सुशासन भवन' के नाम से जिला पंचायत भवनों का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया था, वह पूरे हो रहे हैं। 3752 अटल सामुदायिक भवन जन आकांक्षाओं के प्रतीक हैं। एक कार्यकर्ता की यही श्रद्धांजलि है, यही शब्दांजलि है। वे अमृत पुरुष हैं, अमर पुरुष हैं, आत्मीय स्नेह देने वाले महापुरुष हैं, उन्हें नमन।
प्रहलाद सिंह पटेल, मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं।