हवाई यात्रा को लेकर विगत दो सप्ताह में खूब चर्चा रही, क्योंकि हवाई उड़ान में आई समस्या से केवल यात्रियों को ही परेशानी नहीं उठानी पड़ी, बल्कि इससे जुड़े प्रत्येक पक्ष और भारतीय व्यापार तथा कारोबार को भी तगड़ा नुकसान हुआ। कई मामलों में हवाई अड्डे की सुविधा-असुविधा, नियमों की बेवजह सख्ती और संसाधनों का अभाव भी समस्या को विकराल बना देते हैं।
रविवार को दिल्ली से अहमदाबाद के लिए उड़ान भरने वाला विमान तकनीकी कारणों से इंदौर में लैंड हुआ। वस्तुस्थिति का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन इंदौर के बाद इस हवाई उड़ान को निरस्त करना पड़ा। ठीक इसी तरह, इंदौर एयरपोर्ट पर यात्रियों से जुड़ी अनेक तरह की परेशानियां अब सुर्खियों में बन गई हैं, जिन्हें हवाई यात्री सोशल मीडिया पर वायरल करके अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं।
एक तरफ सरकार हवाई यात्रा को सहज और सरल बनाने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हवाई यात्रा भी अन्य यात्राओं की तरह नागरिक बोध और कर्तव्य निर्वाह में पूर्ण जवाबदेही मांगती है। हवाई यात्रा में ही क्यों? किसी भी सार्वजनिक जगह पर यह सामान्य अपेक्षा रहती है कि लोग नागरिक बोध और संवेदनशीलता का परिचय दें और दूसरों का भी ध्यान रखें।
मगर हवाई अड्डे जैसी जगह पर यदि कोई पायलट सुरक्षा जांच पंक्ति को तोड़ने की ओर ध्यान दिलाने पर बेकाबू और हिंसक हो जाए, तो यह गंभीर और चिंताजनक स्थिति है। दिल्ली हवाई अड्डे पर, छोटा बच्चा साथ होने की वजह से एक यात्री और उसके परिवार को कर्मचारियों के लिए निर्धारित सुरक्षा जांच गेट से जाने के लिए कहा गया था। वहां कुछ कर्मचारी आगे निकलने की होड़ में थे। जब यात्री ने ऐसा करने पर उन्हें टोका, तो एक व्यक्ति ने बदतमीजी की और उस पर हमला कर दिया। विडंबना यह है कि अपना आपा खोकर यात्री पर हमला करने वाला व्यक्ति पायलट था, जो उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था।
हवाई यात्रा के साथ-साथ सामान्य व्यवस्था और संबंधित अन्य विभागों से भी सवाल उठते हैं कि सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील मानी जाने वाली हवाई अड्डे जैसी जगह पर ऐसा कैसे संभव हुआ। सही है कि हमलावर पायलट उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था, लेकिन उससे किस तरह का बर्ताव अपेक्षित है। यदि विमान में कभी बेहद विषम और उथल-पुथल भरे हालात पैदा हो जाएं, तो ड्यूटी पर मौजूद पायलट को शांति और धीरज से काम लेना चाहिए, यात्रियों की बातों को सुनना और समझाना चाहिए। संभवतः यह प्रशिक्षण का भी हिस्सा होगा।
हैरानी की बात है कि एक मामूली विवाद पर यह व्यक्ति हिंसक हो गया, जबकि वह पायलट है और विमान उड़ाने जैसी संवेदनशील जिम्मेदारी भी निभाता है। घटना सामने आने के बाद संबंधित पायलट को ड्यूटी से हटाने की बात कही गई। मगर इस पहलू पर भी विचार करना जरूरी है कि पायलट और विमानन कंपनियों के कर्मचारी अव्यवस्था के बीच किसी प्रकार के दबाव और तनाव से गुजर रहे हैं, और ऐसे में कई बार आपा भी खो देते हैं।
हाल के दिनों में विमानों की उड़ानों में व्यापक अव्यवस्था देखी गई। इस वाकये ने हवाई यात्रा से जुड़े पेशेवर और संवेदनशील सेवा कार्य में एक और नकारात्मक संदेश दिया। सुरक्षा की दृष्टि से भी हवाई यात्रा के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर होने लगा है और आलोचना मुखर होने लगी है।
अतः समय रहते हवाई यात्रा से जुड़े तकनीकी कारणों, संसाधनों और पेशेवर चुनौतियों का तुरंत समाधान करना आवश्यक है। क्योंकि हवाई यात्रा केवल यात्रियों की सुविधा का विषय नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिकी से जुड़ा बड़ा पहलू है। इसे अविश्वसनीय होने से बचाने के लिए जितनी त्वरित पहल होगी, उतना ही कम नुकसान होगा।