दासत्व की मानसिकता से मुक्ति देती मोदी सरकार

विदेशी अखबारों के झरोखे से

Update: 2023-08-13 20:05 GMT

डॉ. सुब्रतो गुहा

कानून सुधार - सेकुलर इंकार: भारत सरकार ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता में भारी बदलाव करने वाली है। भारतीय संसद में इस संदर्भ में प्रस्तावों संबंधी दस्ततावेज प्रस्तुत करते हुए भारतीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा - 'भारतीय दंड संहिता में इस बदलाव से ब्रिटिशकालीन भारत की गुलामी की निशानियां समाप्त होगी।Ó नवीन प्रस्तावित कानूनों में भीड़ द्वारा हत्या या लिंचिंग, महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार, अपनी धार्मिक पहचान छुपाकर किसी महिला के शारीरिक शोषण या विवाह, राष्ट्रद्रोह इत्यादि के लिए दस वर्ष कारागार की सजा से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान है। नाबालिग बालिकाओं से बलात्कार या हत्या पर सीधे मृत्युदंड का प्रावधान है।

- द डॉन, कराची, पाकिस्तान

(टिप्पणी- एआईएमआईएम पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित अनेक प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं ने प्रस्तावित नवीन आपराधिक कानूनों को घोर मुस्लिम विरोधी निरूपित कर इसकी निंदा कठोरतम शब्दों में की है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि अन्य किसी भी धार्मिक समुदाय के नेताओं अथवा धर्माचार्यों ने इन नवीन अपराध नियंत्रण कानूनों का विरोध नहीं किया है। एक तार्किक सत्य यह है कि अपराध नियंत्रण के कठोर कानूनों का विरोध केवल वही लोग करते हैं, जो उन अपराधों से जुड़े होते हैं तथा जिन्हें दंडित होने का डर रहता है। अब इन नवीन कानूनों में किसी भी धार्मिक समुदाय के नाम का उल्लेख नहीं है। ऐसी स्थिति में जनाव असदुद्दीन ओवैसी तथा अन्य प्रमुख मुस्लिम नेतागण अपराध दमन के कठोर कानूनों से केवल मुस्लिमों के ही पीड़ित होने की आशंका व्यक्त कर हमारे भारतीय मुस्लिम भाई-बहनों को अपराधी बताने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं, जिसकी हम घोर निंदा करते हैं। ऐसे मुस्लिम नेता मुस्लिम समाज या देश के हित में नहीं हैं।)

समानता नामंजूर, असमानता नामंजूर

भारत के केरल राज्य की विधानसभा ने सर्वानुमति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें समान नागरिक संहिता लागू करने का विरोध किया गया है। पारित प्रस्ताव में लिखा हुआ है- भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता लागू करने का हम घोर विरोध करते है, क्योंकि इससे भारतीय संविधान का सेकुलर ढांचा ध्वस्त हो जाएगा।

- गल्फ निऊज, दुबई

(टिप्पणी- याद कीजिए सन 2019 में संसद द्वारा पारित एवं राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया, जिसमें प्रावधान था कि इस्लामी गणतंत्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के अमानवीय अत्याचार से पीड़ित छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय- हिन्दू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख एवं पारसी को सहजता से भारतीय नागरिकता प्रदान कर उनके दुख-दर्द दूर करने का प्रयास होगा, तब मुस्लिम नेताओं तथा सेकुलर झंडाबरदारों ने शाहीनबाग तथा देश के कोने-कोने में यह कहते हुए विरोध किया था कि यह असमानता है, अन्याय है, क्योंकि उन छह धार्मिक समुदायों में मुसलमान शामिल नहीं है। अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध यही लोग यह कहते हुए कर रहे हैं कि इसमें मुस्लिम समाज का नाम क्यों है? यह समानता भारतीय सेकुलरवाद तथा मुस्लिम समाज पर आक्रमण है। आखिर यह कैसा भारतीय सेकुलरवाद है, जिसमें मुस्लिमों के संदर्भ में समानता भी अन्याय, असमानता भी अन्याय। जाएं तो जाएं कहां?)

वागाह सीमा के आरपार

इस सप्ताह पाकिस्तान के कराची के ऐतिहासिक फरेयर हॉल से पाकिस्तान अल्पसंख्यकों हिन्दू, ईसाई तथा सिख समुदायों ने माईनारिटी राईट्स मार्च अर्थात् अल्पसंख्यक अधिकार यात्रा आयोजित की। इसमें लोग बेनर हाथ में लेकर चल रहे थे, जिसमें मुख्य मांगे थी - पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पुत्रियों का अपहरण कर बलपूर्वक उनका इस्लाम में धर्मांतरण कर मुस्लिमों से विवाह पर रोक लगाई जाए।अल्पसंख्यक बालिकाओं एवं महिलाओं से बलात्कार बंद हो, अल्पसंख्यक समुदाय की जान-माल की रक्षा हो तथा उन्हें समान नागरिक अधिकार मिले।

- द एक्सप्रेस, ट्रिब्यून कराची, पाकिस्तान

(टिप्पणी- भारत में बहुसंख्यक हिन्दू समाज की बेटियों को लव जिहाद का शिकार होकर इस्लाम में धर्मांतरण तथा मुस्लिम पुरुषों से निकाह हेतु बाध्य किया जाता है। सुदूर फ्रांस, डेनमार्क या स्वीडन में इस्लाम के अपमान का हवाला देकर हिन्दुस्तान में हिन्दुओं के जान-माल को नुकसान पहुंचाया जाता है, सिर तन से जुदा के उद्घोष के जुलूस एवं प्रत्यक्ष कार्यक्रमों द्वारा सिर और तन को एक-दूसरे से अलग करने के नए-नए तरीके बताए जाते हैं, जिहादी आतंकी संगठनों के तत्वों द्वारा हिन्दू युवतियों का अपहरण व दुराचार कर उन्हें यौन गुलाम बनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के कैराना, हरियाणा के नुंह इत्यादि स्थानों पर दंगों के बाद हिन्दू पलायन को मजबूर किया जाता है। वागाह सीमा के इस पार हिन्दू बहुसंख्यक, परन्तु वागाह सीमा के दोनों ओर हिन्दुओं की नियति एक समान। इसलिए जब जागो, तभी सवेरा।)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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