भरोसे की बुनियाद मजबूत करते भारत- फ्रांस

Update: 2023-07-16 20:02 GMT

अरविंद जयतिलक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्ते को मिठास से भर दिया है। बैस्टील डे परेड प्रोग्राम में गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर शामिल प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को ग्लोबल साउथ का एक मजबूत कंधा बताते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास में भारत की भूमिका को अग्रणी बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ के बीच एक पुल की तरह काम कर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के साथ रिश्ते को संदर्भित करते हुए कहा कि दोनों के साझा मकसद हैं। आतंक की लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ है। दोनों देश 25 वर्ष की भरोसे की मजबूत नींव पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। रक्षा सहयोग दोनों देशों के संबंधों का आधार है। प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस को 'मेक इन इंडियाÓ और आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण साझीदार बताते हुए सुनिश्चित किया कि दोनों देश पनडुब्बी हो या नौसैनिक विमान सभी क्षेत्र में कंधा जोड़ कर आगे बढ़ने को तैयार हैं। दोनों देशों ने 'भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रोडमैपÓ जारी करते हुए रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था बनाने पर सहमत हुए हैं। गौरतलब है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रीयूनियन द्वीप, न्यूकैलेडोनिया और फ्रेंच पोलिनेशिया जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपस्थिति है। इस पहल से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर रोक लगेगी। दोनों देशों के बीच कितना मधुर संबंध है इसी से समझा जा सकता है कि फ्रांस ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनरÓ से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा इस मायने में ज्यादा महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों का यह 25 वां साल है।

याद होगा जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तब उससे नाराज होकर दुनिया के ताकतवर मुल्कों ने भारत पर प्रतिबंध थोपा। तब फ्रांस ने भारत के साथ कंधा जोड़ते हुए रणनीतिक समझौते को व्यापक आयाम दिया। फ्रांस लगातार भारतीय सेना को लडाकू जेट व पनडुब्बियों समेत साजो-सामान की आपूर्ति करता रहा। गौर करें तो 2018 के बाद से फ्रांस भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता देश बन चुका है। मौजूदा समय में भारत अपनी कुल रक्षा आयात का तकरीबन 29 फीसदी फ्रांस से करता है। दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता ने कारोबारी, रणनीतिक और सामरिक कुटनीति को नए क्षितिज पर पहुंचा दिया है। दोनों देश एक-दूसरे के सैनिक अड्डे का इस्तेमाल और वहां अपने युद्धपोत रखने के अलावा उर्जा, तस्करी, आव्रजन, शिक्षा, रेलवे, पर्यावरण, परमाणु, आतंकवाद और अंतरिक्ष मामलों में मिलकर काम कर रहे हैं। फ्रांस आत्मनिर्भर भारत मुहिम का साझीदार बनने के साथ-साथ 2025 तक बीस हजार भारतीय छात्रों को अपने यहां पढ़ाई का सुअवसर उपलब्ध कराने का ऐलान पहले ही कर चुका है। उल्लेखनीय है कि 2019 में 10 हजार भारतीय छात्रों ने फ्रांस में उच्च शिक्षा के लिए आवेदन किया था। इस मुहिम से दोनों देशों के बीच नए व्यवसायों, स्टार्ट-अप और नवाचार को गति मिल रही है। आर्थिक कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की इस बार की यात्रा से यूपीआई को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है। साथ ही फ्रांस में मास्टर्स कर रहे भारतीय छात्रों को 5 वर्ष का वर्क वीजा मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है।

विगत 25 वर्षों के दरम्यान दोनों देशों के बीच साझेदारी और समझदारी का ही परिणाम है कि आज भारत में विदेशी निवेश के लिहाज से फ्रांस तीसरा सबसे बड़ा निवेशक देश बन चुका है। भारत में 1000 से अधिक फ्रांस की कंपनियां काम कर रही हैं और सभी कंपनियों का संयुक्त टर्नओवर तकरीबन 30 अरब डॉलर से अधिक है। विचार करें तो दोनों देशों के बीच आर्थिक व सामरिक क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग का मूल आधार विकसित रणनीतिक-राजनीतिक समझदारी है। विगत ढ़ाई दशकों में भारत-फ्रांस संबंध को एक नया आयाम मिला है और दोनों देश राजनीतिक, आर्थिक व सामरिक संबंधों में बेहतरी के लिए गंभीर प्रयास किए है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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