दूरसंचार प्रौद्योगिकी का निर्यातक बनता भारत

Update: 2023-07-05 20:15 GMT

प्रहलाद सबनानी

भारत में डिजिटल क्रांति ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में बहुत प्रभावी भूमिका निभाई है। भारतीय अर्थव्यवस्था, आज डिजिटल क्रांति के बलबूते ही, विश्व में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। डिजिटल क्रांति ने भारत में वित्तीय समावेशन को बहुत आसान बना दिया है एवं आज भारत वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में पूरे विश्व को राह दिखा रहा है। विकासशील देश तो आज वित्तीय समावेशन की सफलता के क्षेत्र में भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं कि वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भारत किस प्रकार उनकी मदद कर सकता है।

डिजिटल क्रांति से ही भारतीय अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण भी सम्भव हो सका है। जिसके चलते, वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण प्रति माह औसतन 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है तथा प्रत्यक्ष करों के संग्रहण में भी अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। इससे केंद्र सरकार को भारत में मजबूत आधारभूत संरचना विकसित करने में आसानी हो रही है एवं केंद्र सरकार देश में पूंजीगत निवेश को लगातार बढ़ाने में भी सफल हो रही है। साथ ही, गरीब वर्ग के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं को फंडिंग करने में भी किसी प्रकार की समस्या आड़े नहीं आ रही है।

भारत में डिजिटल क्रांति से केवल केंद्र एवं राज्य सरकारों को ही लाभ हुआ है, ऐसा नहीं है। बल्कि, सामान्य नागरिकों, दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों सहित, को भी विभिन्न सरकारी कार्य सम्पन्न करने में बहुत आसानी हुई है। आज भारत में इंटरनेट की सुविधा का उपयोग करने वाले नागरिकों की संख्या शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक हो गई है। भारत का टेलीकाम और डिजिटल मॉडल बहुत सरल, सहज, सुरक्षित एवं पारदर्शी है। जिसके कारण आज भारत डिजिटल क्रांति में पूरी दुनिया में एक अग्रणी देश बन गया है एवं दुनिया की अगुवाई कर रहा है।

भारत में डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में नित नए नवाचार भी किए जा रहे हैं। जैसे अभी हाल ही में भारत में ई-रूपी को डिजिटल मुद्रा के रूप में प्रारम्भ किया गया है। इस डिजिटल मुद्रा को वालेट अथवा मोबाइल में रखा जा सकता है। डिजिटल मुद्रा के चलन में वृद्धि होते जाने से जेब में रुपए के रूप में मुद्रा रखने की आवश्यकता ही समाप्त हो जाएगी। यह भारत को 'डिजिटल इंडियाÓ बनाने में एक अहम एवं साकार कदम माना जा रहा है। वर्ष 2022 के केंद्र सरकार के बजट में डिजिटल मुद्रा को भारत में चालू करने के सम्बंध में घोषणा की गई थी। इससे भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूती प्राप्त होगी। ई-रूपी, डिजिटल मुद्रा के रूप में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी को समाप्त करने में सहायक होगा एवं इससे गैर कानूनी रूप से भारत में लाई जाने वाली विदेशी मुद्रा (मनी लॉड्रिंग) पर भी अंकुश लगाने में आसानी होगी। डिजिटल मुद्रा के माध्यम से अन्य देशों में निवास कर रहे लोगों को मुद्रा भेजने में आसानी होती है एवं दूसरे देशों को राशि भेजने पर लगने वाले खर्च में भी लगभग 2 प्रतिशत तक की कमी आने की सम्भावना है। लाभार्थियों के खाते में सीधे ही राशि हस्तांतरित की जा सकती है, इससे भारतीय नागरिकों को मुद्रा को एक देश से दूसरे देश में हस्तांतरित करने में सहूलियत होने लगेगी।

यह भी भारत में डिजिटल क्रांति का ही परिणाम है कि प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों के बचत खातों में 6,000 रुपए प्रतिवर्ष, 2,000 रुपए की तीन समान किश्तों में, आसानी से केंद्र सरकार द्वारा हस्तांतरित किए जा रहे हैं। डिजिटल प्लेटफोर्म पर ही भारत में राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) की स्थापना की जा सकी है जिसके कारण किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए देश में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बेहतर बाजार मिला है। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है एवं उनके उत्पादों के मूल्य की सही खोज भी सम्भव हो पा रही है। आज ई-नाम मंडियों के माध्यम से भारत का किसान अपनी उपज को देश की किसी भी मंडी में आसानी से बेच सकता है। 22 राज्यों और 3 संघशासित क्षेत्रों की 1,260 मंडियों को ई-नाम प्लेटफोर्म से जोड़ा जा चुका है।

(लेखक बैंक के सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक हैं)

Similar News

सदैव - अटल