विशेष आलेख: कोठी के मरघटनाथ मंदिर में आज भी नाग-नागिन करते हैं पारसमणि की रक्षा!
सतना, ऋषि पंडित। जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर कोठी कस्बे के मरघटनाथ मंदिर में किवदंती है कि इस मंदिर में पारस मणि मौजूद है और इसकी रक्षा नाग-नागिन का एक जोड़ा वर्षों से करता आ रहा है। इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिर में भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। इसी शिव मंदिर के आस-पास एक पारसमणि है।
इसके बारे में गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस पारसमणि की रक्षा करते हुए नाग-नागिन के जोड़े को कई बार देखा गया है। हालांकि जानकार बताते हैं कि मरघटनाथ आश्रम में कई अनसुलझे रहस्य छिपे हुए हैं।
हजारों मरघट, मसान के बीच शिवलिंग, नाम पड़ गया मरघटनाथ
हजारों मरघट, मसानके बीच शिवलिंग होने की वजह से ही इनका नाम मरघटनाथ पड़ा. स्थानीय लोगों ने बताया की आश्रम के महंत रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज के यहां आने से पहले तक यहां आत्माओं का साया था। यहां स्थित शिव मंदिर के आसपास एक पारस मणि है जिसकी रक्षा नाग नागिन करते हैं इस दृश्य को देखने का दावा अनेक लोगों ने किया है।
मरघटनाथ का रहस्य
आश्रम से जुड़ी किवदंतियों को लेकर आश्रम के महंत का दावा है कि उनके आश्रम में आने से पहले लोग यहां आने से डरते थे इस जगह, बरम, सन्यासी और आत्माओं का बसेरा हुआ करता था। चारों ओर श्मशान और घना जंगल है जिनके बीच एक प्राचीन स्वंभू शिव मंदिर है। जिसकी रक्षा नाग-नागिन का जोड़ा करता था। महंत के मुताबिक इन्ही इक्षाधारी नाग-नागिन ने उन्हे शिव मंदिर को सौंपा था। जिसके बाद यज्ञ-तपस्या के द्वारा इस स्थान को जागृत किया गया और अब यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं।
पारस मणि का सच
पारस मणि को लेकर आश्रम के महंत बताते हैं कि प्राचीन काल में भोज नाम के एक राजा ने यहां घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और पारस शिवलिंग भेंट किया जिसे पारस मणि के नाम से सभी जानते थे। राजा ने शरीर त्यागने से पहले इस शिव लिंग को मंदिर के पास ही ज़मीन में गाड़ दिया था जिसकी रक्षा नाग-नागिन करते थे।
भगवान श्रीराम का विश्रामस्थल भी
आश्रम के महंत तथा आसपास के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम ने चित्रकूट से जाते समय यहां कुछ समय के लिए विश्राम किया था इसलिए इसे भगवान राम का विश्रामस्थल भी कहा जाता है। नागपंचमी पर अब इस मरघटनाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में आसपास से श्रद्धालु आते हैं। श्रावण मास एवं नागपंचमी को विशेष तौर पर इस शिवमंदिर में लोगों की आस्था देखने लायक होती है। दूर-दूर से सैकड़ों श्रद्धालु कच्चे रास्ते एवं पगडंडियों से होते हुए मरघटनाथ मंदिर में पारस मणि की रक्षा करने वाले नाग-नागिन के जोड़े के दर्शन की अभिलाषा लेकर यहां पहुंचते हैं।