नोएडा जैसा बने दिल्ली-गुरुग्राम

विवेक शुक्ला

Update: 2023-07-25 19:22 GMT

राजधानी दिल्ली के एक तरफ उत्तर प्रदेश का शहर नोएडा। उधर, साउथ दिल्ली से सटा साइबर सिटी गुरुग्राम। दोनों को एनसीआर के मुकुट के रूप में देखा जाता है। दोनों में दर्जनों मल्टी नेशनल कंपनियों के दफ्तरों में हजारों देसी-विदेशी प्रोफेशनल दिन-रात काम करते हैं। इनमें दिल्ली के भी हजारों नौजवान जॉब करने के लिए आते-जाते हैं। ये दोनों शहर दिल्ली का अंग से हो गए हैं। इनमें दिल्ली के नंबर की ढेरों कारें सड़कों पर दौड़ती हुई दिखाई देती हैं। पर हालिया बारिश के दौरान राजधानी दिल्ली के भी आम-खास इलाकों में भारी जलभराव हुआ। केंद्र और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के बंगलों तक में पानी भर गया। कनॉट प्लेस में लोग घुटने भर पानी में चल रहे थे। इसके अलावा बाढ़ से घुटनों पर आ गई थी दिल्ली। वहीं, साइबर सिटी गुरुग्राम फिर से पानी-पानी हुआ। उसका हरेक बरसात में यही हाल होता है। इसलिए उसको लेकर हैरत नहीं होती। अफसोस जरूर होता है कि जिस गुरुग्राम में हजारों जापानी, साउथ कोरिया और अन्य देशों के नागरिक रहते हैं, उसे रहने लायक क्यों नहीं बनाया जाता। पर तेज और भारी बारिश के बावजूद नोएडा में जिंदगी कमोबेश सामान्य रही। कहीं कोई जलभराव नहीं और ना ही यहां रहने वाले या नौकरी के लिए आने वालों को बारिश के कारण परेशानियां झेलनी पड़ीं। नोएडा में नाव चलने या सड़कों के जलमग्न होने के चित्र भी वायरल नहीं हुए। वायरल तो तब होते जब नोएडा में जिंदगी थमती। नोएडा को जानने वाले कहते हैं कि नोएडा में भी कुछ साल पहले तक कुछ जगहों पर बारिश के कारण जल जमाव होता था। इससे निपटने के लिए स्थायी उपाय किए गए। इसलिए वे जगहें अब जलजमाव से कमोबेश मुक्त हैं। सवाल ये है कि नोएडा कैसे बारिश के कारण पैदा होने वाली दिक्कतों से बचा रहा? जबकि गुरुग्राम और डूबती दिल्ली को दुनिया ने देखा। कहने वाले तो यहां तक दावा करते हैं कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद नोएडा और ग्रेटर नोएडा के विकास संबंधी योजनाओं पर नजर रखते हैं। इसलिए सरकारी बाबू किसी तरह की काहिली के बारे में सोच भी नहीं सकते। सबको योगी आदित्यनाथ के काम का तरीका मालूम है। वहां पर निकम्मेपन पर कठोर एक्शन लिया जाता है। बेहतर काम करने वालों को पारितोषिक मिलता है। नोएडा को लेकर मिथक यह था कि जो भी नेता बतौर मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसे दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिलती है। पिछले सरकारों के मुख्यमंत्री नोएडा आने से हमेशा घबराते थे। इसके चलते काम करना यहां के सरकारी अफसरों की प्राथमिकता नहीं थी। सच तो ये है कि नोएडा से सिर्फ करप्शन से जुड़ी खबरें आती थी। बारिश के मौसम में नोएडा भी डूबता था। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने सब कुछ बदला। इसलिए बदल गया नोएडा।

नोएडा इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से किसी भी शानदार शहर से इक्कीस ही है। कुछ समय पहले जब केन्द्रीय आवासन व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 के लिए देश के शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, तो उसमें नोएडा बेस्ट सेल्फ सस्टेशनेबल सिटी की श्रेणी में पुरस्कार पाने वाला अकेला शहर घोषित हुआ। एनसीआर का और कोई शहर स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की सूची में शामिल नहीं है। जाहिर तौर पर नोएडा के प्रदर्शन का श्रेय वहां के स्थानीय निकायों व उत्तर प्रदेश की सरकार को दिया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि आने वाले दो-ढाई सालों के बाद दिल्ली से नोएडा- ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करने वालों की तादाद और तेज होगी। नोएडा- ग्रेटर नोएडा में दक्षिण कोरिया की एलजी इलेक्ट्रानिक्स, मोजर बेयर, यमाहा, न्यू हालैंड ट्रेक्ट्रर्स तथा होंडा सिएल कारों का उत्पादन हो रहा है। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों की चोटी की कंपनियां हैं। ग्रेटर नोएडा में इलेक्ट्रानिक सामान का उत्पादन करने वाली इकाइयां काफी संख्या में हैं। बेहतर सड़क लिंक, चौबीस घंटे पानी की सप्लाई तथा यहां से देश के उत्तर, पूर्व तथा पश्चिम राज्यों के बाजारों में पहुंचने की सुविधा के चलते ग्रेटर नोएडा महत्वपूर्ण शहर बन चुका है। दूसरी तरफ गुरुग्राम का तो कोई माई-बाप नहीं है। वहां पर तेज बारिश होते ही जिंदगी रूक जाती है। प्रशासन का कहीं पता नहीं चलता। इसलिए गुरुग्राम की इमेज पर काला धब्बा गहरा होता जा रहा है। गुरुग्राम में हजारों विदेशी नागरिक रह रहे हैं। ये मारुति, होंडा सिएल कार, होंडा मोटरसाइकिल, फुजी फोटो फिल्मस, डेंसो सेल्ज लिमिटेड, डाइकिन श्रीराम एयरकंडशिंनिंग, डेंसो इंडिया लिमिटेड जैसी कपनियों में काम करते हैं। ये भगवान बुद्ध के अनुयायी तो हैं ही। ये भारतभूमि को गौतम बुद्ध की भूमि होने के कारण ही पूज्यनीय मानते हैं। ये मानते हैं कि भगवान बौद्ध का जीवन समाज से अन्याय को दूर करने के लिए समर्पित था। जरा सोचिए कि गुरुग्राम में रहने वाले जापानी और दूसरे विदेशी नागरिकों को बारिश में गुरुग्राम की हालत में कितना तरस आता होगा।

अगर बात दिल्ली की करें तो घोर निराशा ही होती है। यहां उपराज्यपाल और मंत्री के बीच सबके सामने गिले-शिकवे जाहिर होते हैं। जिस दिल्ली में दो महीनों के बाद जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है वहां पर सामान्य सी बारिश ने दिल्ली सरकार के राजधानी को दुनिया का बेहतरीन शहर बनाने के दावों की कलई खोल कर रख दी। आधे-एक घंटे की तेज बारिश से आईटीओ जैसी खासमखास जगह नदी बन जाती है। क्यों नहीं दिल्ली और गुरुग्राम बनते नोएडा जैसे।    (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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