उत्तरप्रदेश की बदल रही तस्वीर

Update: 2023-08-25 19:57 GMT

इसे बिडंबना नहीं तो क्या कहेंगे कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गंगा-यमुना और घाघरा जैसी सदानीरा नदियों का उपजाऊ मैदानों के बावजूद उत्तर प्रदेश की ख्याति बीमारू यानी रोगी राज्य के रूप में रही। उत्तर प्रदेश राजनीतिक रूप से बेहद सचेत लोगों का भी राज्य रहा है। माना जाता है कि जिस इलाके की जनता राजनीतिक रूप से ज्यादा सचेत होती है, वहां विकास की धारा बहती रहती है। माना तो यह भी जाता है कि प्रभावी राजनीति जिस इलाके का प्रतिनिधित्व करती है, उस इलाके में विकास की गति अपने आप तेज हो जाती है। उत्तर प्रदेश प्रभावी राजनीति का भी केंद्र रहा है। देश को उसने आठ प्रधानमंत्री दिए, जिनमें से छह की जन्मभूमि भी उत्तर प्रदेश की माटी रही है,इसके बावजूद उत्तर प्रदेश अपनी अराजक संस्कृति और भ्रष्टाचारी शासन व्यवस्था के लिए ज्यादा जाना जाता रहा है। लेकिन अब इसी उत्तर प्रदेश की छवि बदलने लगी है। इसका श्रेय निश्चित तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच को दिया जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड के अपने मूल राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से अलग होने के बावजूद जितनी तेज तरक्की की उम्मीद की जा रही थी, वैसी नजर नहीं आ रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश इनमें से अलग राह पर चलता दिख रहा है। निश्चित तौर पर इसके लिए योगी आदित्यनाथ की कड़क और कुशल शासन व्यवस्था को श्रेय दिया जा सकता है।

किसी भी राज्य में कारोबार और उद्योग कब पनपता है, जब वहां की कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरूस्त होती है, वहां बुनियादी ढांचा मसलन सड़क, बिजली और पानी की सहूलियत होती है। इसके साथ ही मेडिकल यानी चिकित्सा सुविधा भी बेहतर होनी चाहिए। कुछ साल पहले तक उत्तर प्रदेश में बिजली छोड़ सारे संसाधन थे, लेकिन कानून-व्यवस्था बेहद लचर थी। अराजक व्यक्तियों और समूहों के इशारे पर ही जैसे राज्य की कानून-व्यवस्था चलती थी। लेकिन यह भी सच है कि कानून का भय अब अराजक समूहों में आया है। सड़कें दुरूस्त हुईं हैं।

कभी इलाहाबाद, आगरा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय समेत राज्य के तमाम विश्वविद्यालय अराजकता के पर्याय माने जाते थे। हालांकि इनका गौरवशाली अतीत रहा है। भारत के शैक्षिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में इन विश्वविद्यालयों का सार्थक हस्तक्षेप रहा है। लेकिन राजनीतिक संस्कृति बदलने से बाद के दिनों में उत्तर प्रदेश शैक्षिक रूप से पिछड़ता जा रहा था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश का शैक्षिक परिदृश्य बदलने लगा है। स्कूली स्तर पर भी पढ़ाई की रेल पटरी पर आने लगी है। इसका असर इस साल की नीट की परीक्षाओं के नतीजे पर भी दिखा। इस बार इस परीक्षा में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के ही विद्यार्थी कामयाब हुए हैं, जिनकी संख्या करीब 1.39 लाख है।

उत्तर प्रदेश में पहले गिने-चुने मेडिकल कॉलेज ही थे। लेकिन योगी शासन में एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की परिकल्पना की गई और वह अब साकार होती नजर आ रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, विशेषकर गोरखपुर के आसपास हर साल दिमागी बुखार से सैकड़ों बच्चों की हृदयद्रावक मौत होती थी। लेकिन योगी शासन में इस पर काबू पाने की कोशिशें तेज हुईं और अब स्थिति बेहद काबू में है। उत्तर प्रदेश गंगा-यमुना और घाघरा जैसी सदानीरा नदियों का मैदान है। ये नदियां राज्य की जीवन रेखा ही नहीं, खेती-किसानी का सांस्कृतिक जरिया भी हैं। जनसंख्या घनत्व ज्यादा और प्रति व्यक्ति जोत कम होने के बावजूद आज स्थिति यह है कि राज्य देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन20 फीसद अकेले कर रहा है।

बुनियादी ढांचा के मामले में भी पिछले छह सालों में राज्य ने काफी कुछ हासिल किया है। राज्य में पांच एक्सप्रेस-वे बन चुके हैं। वहीं 13 एक्सप्रेस-वे का निर्माण जारी है। साल 2017 में राज्य में सिर्फ दो लखनऊ और वाराणसी हवाईअड्डे ही संचालित हो रहे थे, लेकिन आज राज्य के नौ शहर हवाई मार्ग से जुड़ गए हैं। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार मौजूदा वर्ष यानी साल 2023-24 के आखिर तक राज्य में पांचअंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को चालू करने की तैयारी है। नोएडा का जेवर हवाई अड्डा आंशिक रूप से संचालित है। हालांकि इसे एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डे के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इसी तरह अयोध्या धाम में भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर काशी का उद्धार हो चुका है। विश्वनाथ कॉरीडोर और नई काशी आज दुनिया को लुभा रही है। इसका असर वाराणसी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार बढ़ने के रूप में दिख रहा है। काशी देश के सर्वाधिक श्रद्धालुओं वाला शहर बनता जा रहा है। जिस तरह से अयोध्या का विकास हो रहा है, कुछ साल बाद वहां भी दुनियाभर के सैलानियों की आवक बढ़ेगी।

इसे योगी मॉडल की कामयाबी ही कह सकते हैं कि छह साल में राज्य की जीडीपी व प्रति व्यक्ति आय दोगुना हो चुकी है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले पांच साल में भारत को पांच खरब डॉलर के साथ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दे रहे हैं, वहीं योगी शासन में साल 2027 तक राज्य को एक खरब की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

(लेखक प्रसार भारती के सलाहकार हैं)

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