डॉ. सुब्रतो गुहा
झुकती है दुनिया: भारत चांद पर है। भारत का अंतरिक्ष यान चंद्रयान तीन सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंच गया, जहां आज तक कोई देश पहुंचा नहीं था। भारत की यह उपलब्धि बुधवार की है, जबकि इसके कुछ ही दिन पूर्व रूस द्वारा चंद्रमा के लिए भेजा गया अंतरिक्ष यान नष्ट हो गया था। भारतीय अंतरिक्ष अभियान की यह अद्वितीय उपलब्धि है।
- द वाल स्ट्रीट जर्नल, न्यूयार्क, अमेरिका
(टिप्पणी- उल्लेखनीय तथ्य यह है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने शत-प्रतिशत भारतीय वैज्ञानिक तकनीकों द्वारा तैयार एवं संचालित अंतरिक्ष यान चंद्रयान तीन का निर्माण पश्चिमी देशों के अंतरिक्ष यानों की तुलना में कई गुना कम कीमत पर कर डाला और फिर सफलता भी प्राप्त की। देशभक्त भारतवंशी इस विलक्षण उपलब्धि पर जश्न मना रहे हैं, परन्तु भारत के प्रति शत्रुता अथवा जलन का भाव रखने वाले आंसू बहा रहे हैं। ब्रिटेन के राष्ट्रीय टेलिविजन चैनल बीबीसी के समाचार प्रस्तुतकर्ता ने टिप्पणी की कि जब भारत के सत्तर करोड़ गरीब लोगों को शुद्ध पेयजल और शौचालय की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है, तब भारत सरकार अंतरिक्ष यान पर इतनी फिजूलखर्ची क्यों कर रही है? उत्तर प्रदेश के चैम्पियन सेकुलर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बधाई, शुभकामनाएं इत्यादि सांप्रदायिक शब्दों से बचते हुए ट्वीटर पर दो शब्दों की प्रगतिशील प्रतिक्रिया दी, चांद मुबारक। भारतीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो के वैज्ञानिकों की चंद्रयान तीन के सफल टीम के वैज्ञानिकों के नाम पर ध्यान दीजिए - एस. सोमनाथ, पी.वी. रामुथुवेल, एस. उन्नीकृष्णन नायर, एस. शर्मा कृष्णा, एस. मोहन कुमार, एस. शंकरन, कल्पना के. मुथैया वनिता, रितु श्रीवास्तव। इस पूरी सूची में सब कुछ है, बस सेकुलर टच या सेकुलर स्पर्ष नहीं है। यदि आप पूछेंगे कि आखिर यह सेकुलर टच क्या है? तो फिर उत्तर में हम यही कहेंगे - भला यह भी कोई पूछने की बात है।)
अंगूर खट्टे हैं
भारत द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान - चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चांद की सतह पर पहुंचते ही भारत अमेरिका रूस और चीन जैसे वैज्ञानिक रूप से अतिविकसित देशों की सूची में शामिल हो गया, जो सफलतापूर्वक चांद पर अपने अंतरिक्ष यान भेज चुके हैं। यद्यपि आधुनिक भारत में अनेकों बुराइयां है, विशेष रूप से वर्तमान हिन्दूवादी भारत सरकार की अल्पसंख्यक दमनकारी नीतियां, तथापि यह स्वीकार करना होगा कि चंद्रयान-3 की सफलता का पूर्ण श्रेय भारत के कुशल एवं कर्तव्यपरायण वैज्ञानिकों को जाता है।
- सम्पादकीय द डॉन, कराची, पाकिस्तान
(टिप्पणी- भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्था इसरो की स्थापना सन उन्नीस सौ उनसत्तर को हुई थी, जबकि इससे आठ वर्ष पूर्व सन उन्नीस सौ इकसठ को पाकिस्तान की अंतरिक्ष विज्ञान संस्था सपारको की स्थापना हो चुकी थी, परन्तु आज हम कहां और वो कहां? भारत आज चांद पर है, जबकि चांद पाकिस्तान के झंडे पर है। ऊपरी तौर पर भारत की महान वैज्ञानिक उपलब्धि पर खुशी का इजहार करते हुए मुबारकबाद देने वाले पाकिस्तानी हुक्मरानों के दिलों पर क्या बीत रही है। फ्री की मुस्कानों के पीछे कितने गम छुपा रहे हैं, कोई उन दिलों से पूछे, जिनमें जज्बात के तूफान उठ रहे हैं, उठते रहेंगे, दिल जल रहे हैं, जलते रहेंगे।)
रेगिंग जन्मसिद्ध अधिकार क्यों?
भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की पुलिस ने कोलकाता स्थित प्रसिद्ध जाधव पर विश्वविद्यालय के तेरह छात्रों को गिरफ्तार किया है, जो वहां के वर्तमान और पूर्व छात्र है तथा जिन पर भयावह रेगिंग द्वारा एक सत्रह वर्षीय छात्र की हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध हुआ है। सत्रह वर्षीय छात्र का नग्न शव विश्वविद्यालय परिसर से बरामद हुआ, क्योंकि मृत छात्र विश्वविद्यालय के छात्रावास में ही रहता था। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु से पूर्व उस नाबालिग छात्र को अमानवीय यातना एवं अत्याचार का शिकार होना पड़ा।
- द इन्डीपेन्डेन्ट, लंदन, ब्रिटेन
(टिप्पणी- विगत दो दशकों से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के समान ही कोलकाता का जाधवपुर विश्वविद्यालय माओवादी विद्यार्थियों का सशक्त गढ़ बना हुआ है। तभी तो सन 2010 में छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा में 76 सी.आर.पी.एफ. जवानों के नक्सलियों के हाथों मारे जाने पर जस्न का प्रसंग हो, सन 2016 में संसद हमले में फांसी की सजा प्राप्त जिहादी आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाने का प्रसंग हो, सन 2019 में नागरिकता संशोधन कानून सी.ए.ए. के विरुद्ध शाहीनबाग आंदोलन के समर्थन का प्रसंग हो, दुर्गा उत्सव के समय महिषासुर दिवस मनाने का प्रसंग हो, ऐसे अनेकानेक अवसरों पर जाधवपुर विश्वविद्यालय के माओवादी कामरेड अपने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के माओवादी कामरेडों के साथ कदमताल करते हुए दिखे हैं। तभी तो उक्त रेगिंग घटना के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस द्वारा नियुक्त नए कुलपति बुद्धदेव साऊ के जाधवपुर विश्वविद्यालय परिसर में हेलोजन लाईट्स तथा सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाने के आदेशों का भी विरोध माओवादी छात्र संगठन निजता के अधिकार पर प्रहार निरूपित कर रहे हैं, शायद रेगिंग मेरा जन्मसिद्ध अधिकार मानते होंगे।)
(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)