दिल्ली के बहाने राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र..!

विनय झा

Update: 2023-08-04 19:55 GMT

विपक्ष का कथन है कि भारत की राजधानी पर भारत सरकार को कोई बिल प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है और भारत की संसद को इसपर विचार करने का अधिकार नहीं है। भारतीय संविधान के अनुसार दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है जिसे सीमित अधिकार वाली विधानसभा रखने का अधिकार है, किन्तु विपक्ष का एक भी सांसद इसका उल्लेख नहीं करता कि दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है-वे केवल संघवाद का उल्लेख करते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य मानकर बहस कर रहे हैं। विपक्ष की बात मान ली जाय तो भारत की राजधानी, जिसमें सम्पूर्ण भारत का शासन और प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा आदि को नियंत्रित करने वाली संस्थायें हैं उन सबकी रक्षा और देखरेख का भार केजरीवाल को सौंप दिया जाय।

अत: बहस इस बिन्दु पर होना चाहिए कि कौन से अधिकारी केन्द्र शासित प्रदेश होने के नाते केन्द्र के अधीन हों,और कौन से अधिकारी दिल्ली सरकार के अधीन हों। किन्तु सही तरीके से बहस नहीं हो रही है और न ही कोई नेता अथवा मीडिया यह बता रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस बिन्दु पर विचार किया भी था वा नहीं।

कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि संसद में सब्जी मण्डी के दुकानदार अपना-अपना माल बेचने के लिए जोरों से चिल्ला रहे हैं, किसी को विधान और संविधान की परवाह नहीं है। मैं टीवी बंद कर रहा हूँ। गलती जनता की है जो ऐसे लोगों को चुनती है। जनता को भी न्याय का शासन नहीं चाहिए, मुफ्त की सब्जी और बिजली चाहिए भले ही देश को बेचकर मिले। अमरीका, ब्रिटेन, जापान, रूस ... ...किस देश की राजधानी पर केन्द्र सरकार का पूर्ण नियन्त्रण नहीं है? भारत को नष्ट करने की योजना के अन्तर्गत ही दिल्ली में विधानसभा बनायी गयी। 'राज्य और क्रान्तिÓ पुस्तक में लेनिन ने लिखा था कि देश पर कब्जा करना हो तो राजधानी से आरम्भ करना चाहिए। इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए कम्युनिस्ट गुरिल्ला युद्ध के प्रमुख विचारक चे गुएवारा ने अपनी पुस्तक में व्यावहारिक तरीका बतलाया जिसे क्यूबा में फिडेल कास्त्रो ने लागू किया। बाद में वामपंथ के विरोधियों ने भी इसी गुरिल्ला नीति को अपनाया ।

गुरिल्ला नीति के दो अंग होते हैं, एक अंग है चाणक्य नीति के अनुसार केन्द्र जब तक प्रबल हो तब तक चारों ओर सीमावर्ती क्षेत्रों में छापामार युद्ध किया जाय और दूसरा अंग है कि जैसे ही अवसर मिले सीधे राजधानी पर आधिपत्य जमाया जाय जैसा कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया। छत्रपति शिवाजी ने पहली नीति को लागू किया किन्तु दूसरी पर आने से पहले ही अल्पायु में चल बसे, तब पेशवा बाजीराव ने उनके कार्य को आगे बढ़ाया और दिल्ली पर रघुनाथराव ने आधिपत्य जमाकर खैबर दर्रे तक हिन्दू पादशाही के पाँव जमा दिये तो इर्ष्यावश मस्तानी की सौतन के नालायक बेटे ने रघुनाथराव को हटाकर अहमदशाह अब्दाली को खुला मैदान दे दिया जिसका फल हम आज तक भुगत रहे हैं। आज भारत में गुरिल्ला नीति के ये दोनों अंग चल रहे हैं— सीमावर्ती राज्यों में हिन्दूविरोधी सरकारें बन रही हैं और देश की राजधानी पर नियन्त्रण का षड्यन्त्र चल रहा है। यह षड्यंत्र सफल हो जाय तो उक्राइना की तरह अचानक कुछ लाख नकाबपोश गुण्डे संसद और साउथ ब्लॉक पर आक्रमण कर देंगे (जैसा कि उक्राइना में 2014 ई. में किया गया था) और पूरे संसार की मीडिया चिल्लाएगी कि भगवा आतंकवाद की तानाशाही को हटाकर जनक्रान्ति द्वारा 'वास्तविकÓ लोकतन्त्र स्थापित किया गया है । भारत में 'वास्तविकÓ लोकतन्त्र स्थापित करने के लिए ही बाइडेन ने तालिबान को 200 अरब डॉलर के आधुनिकतम शस्त्र दिये हैं। पूरे संसार में 'वास्तविकÓ लोकतन्त्र लाने के लिए रॉथ्सचाइल्ड गैंग द्वारा सोरोस की आड़ में योजना चल रही है । अमरीकी राष्ट्रपति केनेडी ने बयान दिया था कि अमरीकी गुप्तचर संस्था सीआईए अमरीकी सरकार से छुपाकर दूसरें देशों में गलत कार्य करती रहती है जिस कारण सीआईए को भंग करना है,ऐसा बयान देते ही केनेडी की हत्या हो गयी और वहाँ भी सीआईए का 'वास्तविकÓ लोकतन्त्र स्थापित रहा ।

भीड़ को कोकीन पिलाओ और भीड़ द्वारा 'वास्तविक लोकतन्त्रÓलाओ! देश की राजधानी में विधानसभा बनाना ही गलती है। किसी अन्य देश में ऐसा होता है?

( लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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