SC ने दूसरे धर्म में शादी करने वाली बेटियों को दिया झटका, माता-पिता के सपोर्ट में बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इसमें पिता दूसरे धर्म में शादी करने वाली बेटी को अपनी कमाई संपत्ति से बेदखल कर सकता है। वहीं, पैतृक संपत्ति पर नियम जानिए।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है जो नजीर बनेगा। साथ ही उन बेटियों के लिए सबक की तरह होगा जो अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ दूसरे धर्म में शादी करती हैं। कानून भले ही पैतृक संपत्ति में बेटे-बेटी दोनों को बराबर का हक देता है। लेकिन यह कानून भी है कि पिता अपनी खुद की कमाई संपत्ति जिसे चाहे उसे दे दे।
पिता की कमाई संपत्ति पर कभी-कभी बेटियों को सवाल उठाने का हक मिल सकता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है जो बेटियों के लिए वार्निंग की तरह है। उन्होंने कहा कि माता-पिता की मर्जी के खिलाफ दूसरे धर्म में लड़के से शादी करने वाली बेटी को पिता की संपत्ति और जायदाद से बाहर करना सही है।
क्या है मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिट अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और के. विनोद चंद्रन की बेंच की तरफ से यह आदेश जार किया गया है। शैला जोसेफ नाम की एक महिला ने अपने समुदाय से बाहर के व्यक्ति से शादी कर ली थी। तब उनके पिता एन एन श्रीधरन ने उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी संपत्ति बाकी आठ बच्चों में बराबर बांट दी थी।
बेटी ने लगाई कोर्ट में याचिका
पिता के इस फैसले के खिलाफ शैला ने निचली अदालत में याचिका लगाते हुए चुनौती दी।इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि बेटी के हक में फैसला सुनाया। और संपत्ति में हिस्सा देने के लिए कहा। लेकिन पिता इस फैसले से सहमत नहीं थे। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई।
हाई कोर्ट ने भी सुनवाई में कहा कि संपत्ति सभी को बराबर मिलनी चाहिए। साथ ही कहा कि मर्जी के खिलाफ शादी करने की वजह से प्रॉपर्टी से बेदखल करना सही नहीं है। वहां भी कोर्ट ने बेटी के हक में फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट में मिला पिता को न्याय
बेटी को संपत्ति से बेदखल करने वाले पिता हाई कोर्ट के फैसले से भी सहमत नहीं हुए। उन्होंने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। वहां सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसलों को रद्द करते हुए कहा कि श्रीधरन की बनाई गई वसीयत सही है। उन्होंने फैसला सुनाया कि बेटी शैला का पिता की संपत्ति में कोई हक नहीं है।
किसी भी संतान को संपत्ति नहीं मिलने पर होता दखल
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर किसी भी बच्चे को संपत्ति नहीं मिली होती तो कोर्ट दखल दे सकता था। हालांकि बाकी बच्चों को संपत्ति बांटी गई है। उन्होंने कहा बेटी शैला को संपत्ति से दूर रखना उनकी अपनी मर्जी है। इस पर उसे सवाल उठाने का कोई हक नहीं है।
खुद की कमाई संपत्ति पर मर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ करते हुए कहा कि यह सच है कि महिलाओं को भी संपत्ति में बराबर का हक मिलता है। लेकिन यह खुद की कमाई हुई संपत्ति है तो अपनी संपत्ति किसे देनी है यह पूरी तरह से पिता की मर्जी पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि अगर संपत्ति पैतृक होती तो उसमें हिस्सा मिलता। लेकिन पिता की कमाई संपत्ति जैसे मामले पर कोर्ट दखल नहीं देगा।