SC पहुंचा अजमेर दरगाह PM चादर चढ़ाने का मामला, तत्काल सुनवाई से इनकार

प्रधानमंत्री की ओर से अजमेर दरगाह पर औपचारिक चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। कोर्ट का तत्काल सुनवाई से इनकार।

Update: 2025-12-22 12:44 GMT

नई दिल्लीः राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सालाना उर्स के दौरान पीएम की तरफ से चादर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। इस बार 814वें सालाना उर्स पर पीएम मोदी की तरफ से आज चादर चढ़ाई गई। हालांकि उससे पहले इस परंपरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई। और इसे रोकने की मांग की गई है।

बता दें कि 814वें सालाना उर्स के मौके पर पीएम की तरफ से चादर चढ़ाने की परंपरा निभाई गई। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पीएम की ओर से भेजी गई चादर लेकर अजमेर पहुंचे थे।

सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका

जहां केंद्रीय मंत्री चादर लेकर अजमेर पहुंचे हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पीएम और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की और से दरगाह में चादर चढ़ाने के खिलाफ याचिका दायर की गई। इसे सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। यह मामला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की वेकेशन बेंच के सामने आया था। पीठ ने कहा, ‘आज सूचीबद्ध नहीं।'

किसने लगाई है याचिका

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में यह याचिकाविश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की ओर से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता बरुन सिन्हा ने याचिका लगाई है। वहीं, कोर्ट ने उनको रजिस्ट्री से संपर्क करने को कहा।

क्या कहा गया है याचिका में

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह पर चादर चढ़ाने की प्रथा की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में की थी और यह तब से जारी है। इसका कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है।

विदेशी आक्रमणों से जुड़े थे

याचिका के अनुसार कि ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती उन विदेशी आक्रमणों से जुड़े थे जिन्होंने दिल्ली और अजमेर पर विजय प्राप्त की और स्थानीय आबादी का बड़े पैमाने पर दमन किया और धर्मांतरण किया, जो भारत की संप्रभुता, गरिमा और सभ्यतागत मूल्यों के बिल्कुल विपरीत थे।

अजमेर सिविल कोर्ट में भी है मामला

बता दें कि इस मुद्दे को लेकर अजमेर की सिविल अदालत में पहले से एक याचिका दायर है और मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह चुनौती दी गई थी। इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया गया। साथ ही 3 जनवरी अगली सुनवाई तारीख तय की है।

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