सत्यता पर हमला: 'ऑपरेशन सिंदूर' पर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा तंत्र सक्रिय, पाकिस्तानी प्रोपेगंडा का फैक्ट चेक!
भारत द्वारा चलाए गए निर्णायक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, पाकिस्तान ने एक संगठित और उग्र भ्रामक प्रचार अभियान शुरू किया है — यह एक हताश प्रयास है ध्यान भटकाने का, जिसमें झूठ और भ्रामक डिजिटल जानकारी के जरिए सच को पलटने की कोशिश की जा रही है।
जहां एक ओर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाया गया यह अभियान सटीक और प्रभावी रहा, वहीं अब यह मामला ऑनलाइन प्रोपेगेंडा युद्ध में तब्दील हो गया है। पाकिस्तान समर्थित सोशल मीडिया अकाउंट्स और यहां तक कि कुछ प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ भी जानबूझकर झूठी खबरें फैला रही हैं, बनावटी सैन्य जीत और काल्पनिक जवाबी कार्रवाई की कहानियाँ गढ़ी जा रही हैं, जिनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।
सच को छुपाने और जमीनी सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए, पाकिस्तान से जुड़े राज्य समर्थित अकाउंट्स ने फिर से अपने पुराने हथकंडे अपनाए हैं — पुरानी तस्वीरों का दोबारा इस्तेमाल, पुराने वीडियो को भ्रामक तरीके से पेश करना, और पूरी तरह से मनगढ़ंत दावे गढ़ना। उनका उद्देश्य स्पष्ट है — जानबूझकर झूठ की बाढ़ इस तरह फैलाना कि लोगों के लिए सच्चाई और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाए। यह केवल गलत जानकारी नहीं है; यह एक सुनियोजित और समन्वित अभियान है, जिसका मकसद है हकीकत को बिगाड़ना, जनता को गुमराह करना और पूरे क्षेत्र में सोचने-समझने की दिशा को मोड़ना।
पुरानी तस्वीरें और भ्रामक दावे हुए वायरल
सबसे प्रमुख उदाहरणों में से है एक वायरल तस्वीर, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान की सेना ने बहावलपुर के पास एक भारतीय राफेल विमान को मार गिराया। लेकिन पीआईबी फैक्ट चेक ने इस दावे को खारिज कर दिया और पुष्टि की कि यह तस्वीर दरअसल 2021 में पंजाब के मोगा में हुए एक मिग-21 दुर्घटना की है — इसका मौजूदा घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है।
एक और बेशर्मी भरा झूठा दावा एक वीडियो के रूप में सामने आया, जिसमें यह ग़लत तरीके से दावा किया गया कि भारतीय सेना ने चोरा पोस्ट पर सफेद झंडा उठाकर आत्मसमर्पण कर दिया। इस झूठे और मनगढ़ंत नैरेटिव को पाकिस्तान के मंत्री अत्ता उल्ला तारड़ ने न केवल समर्थन दिया बल्कि बिना किसी सबूत के सार्वजनिक रूप से इस दावे की पुष्टि भी की। एक स्पष्ट रूप से झूठी और अप्रमाणित कहानी को आधिकारिक समर्थन देकर, तारड़ ने न केवल अपने नागरिकों को गुमराह किया, बल्कि इस प्रोपेगेंडा अभियान को सक्रिय रूप से बढ़ावा भी दिया।
(वीडियो में दावा किया गया कि भारतीय सेना ने सफेद झंडा फहराया)
Allahu Akber✌️
— Maria Mushtaq (@GurlWithABun) May 7, 2025
After losing six warplanes including three Rafaels, two brigade headquarters and several posts, India finally raised the white flag on the Line of Control.🤌
Pakistan Zindabad, Pakistan Army Zindabad🇵🇰❤🤲#IndiaPakistanWar #OperationSindoor pic.twitter.com/wWlZJ7aBsK
जंग के सबूत के रूप में पेश की गई असंबंधित फुटेज
एक और भ्रामक पोस्ट में एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान एयरफोर्स ने श्रीनगर एयरबेस को निशाना बनाया। लेकिन सच्चाई यह है कि यह वीडियो 2024 की शुरुआत में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान में हुए सांप्रदायिक झड़पों का है। इस वीडियो का कश्मीर या किसी हालिया एयरस्ट्राइक से कोई लेना-देना नहीं है।
एक अलग अफवाह में यह भी दावा किया गया कि पाकिस्तान ने भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट कर दिया, जबकि रक्षा सूत्रों के अनुसार यह दावा पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है।
इसके अलावा, एक पुरानी तस्वीर — सितंबर 2024 में राजस्थान के बाड़मेर में हुए एक मिग-29 दुर्घटना — को पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा फिर से फैलाया गया ताकि यह दिखाया जा सके कि हाल ही में भारतीय वायुसेना को नुकसान हुआ है, जबकि ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हालिया सैन्य कार्रवाई के दौरान भारतीय सैनिकों की गिरफ्तारी का बेबुनियाद दावा किया, जिसे बाद में खंडन कर वापस ले लिया गया।
आसिफ ने आरोप लगाया था कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान की कार्रवाई के दौरान कुछ भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया गया है। हालांकि, इन दावों को तुरंत झूठा बताया गया, क्योंकि ऐसे किसी भी दावे का समर्थन करने वाला कोई प्रमाण मौजूद नहीं था। बाद में रक्षा मंत्री ने अपना बयान वापस ले लिया और स्वीकार किया कि कोई भी भारतीय सैनिक हिरासत में नहीं लिया गया था।
भ्रामक जानकारी का रणनीतिक उपयोग
ये घटनाएं पाकिस्तान द्वारा एक संगठित और सुनियोजित तरीके से मीडिया को गुमराह करने, वैश्विक विमर्श को तोड़-मरोड़कर पेश करने और भारत के सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद जनमानस को भ्रमित करने की कोशिश को दर्शाती हैं।
पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों, असंबंधित वीडियो और मनगढ़ंत दावों की बाढ़ ला दी, ताकि ऑपरेशन के वास्तविक नतीजों को छिपाया जा सके और एक प्रभावी जवाबी कार्रवाई का भ्रम पैदा किया जा सके। यह रणनीति भारत की कार्रवाई की सफलता से ध्यान भटकाने, घरेलू जनभावनाओं को भड़काने और अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित करने के उद्देश्य से अपनाई गई प्रतीत होती है।