सड़क निर्माण में कूड़े-कचरे के उपयोग से देश को बनाएंगे कचरा मुक्त : गडकरी

Update: 2025-09-15 14:46 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि सड़क निर्माण में कूड़े-कचरे और सीवेज जल का उपयोग कर देश को कचरा मुक्त बनाएंगे।

गडकरी ने एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में कहा कि देशभर में सड़क निर्माण में आधुनिक तकनीक और पर्यावरण अनुकूल उपायों का उपयोग किया जा रहा है। देश के 15 बड़े शहरों में कचरे के पहाड़ हैं, जिनका 50 प्रतिशत पहले ही प्रोसेस किया जा चुका है। वर्ष 2027 तक पूरे देश से इस तरह के कचरे को सड़कों में डालकर निपटाया जाएगा और भारत को कचरा मुक्त बनाया जाएगा। उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट से सड़कों के बीच विशेष लेयर बनाने की तकनीक का उल्लेख किया, जिससे न केवल सड़कों की मजबूती और आयु 4-5 साल तक बढ़ेगी, बल्कि देश में सिंगल-यूज प्लास्टिक का उपयोग भी कम होगा।

उन्होंने कहा कि नागपुर में अपने संसदीय क्षेत्र में पिछले नौ वर्षों से सीवेज के पानी को शुद्ध कर पीने योग्य बनाया गया और उसे बेचकर सालाना लगभग 300 करोड़ रुपये की आय हो रही है। नागपुर की तर्ज पर मथुरा में भी एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जहां शौचालय और सीवेज के पानी को शुद्ध कर निर्माण और सड़क परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और उनकी तुलना विश्वस्तरीय सड़कों से की जा सकती है। भारी बारिश और बाढ़ जैसी प्राकृतिक परिस्थितियों से निपटने के लिए नई-नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है। अब सड़क निर्माण के दौरान प्रीकास्ट ड्रेनेज सिस्टम को अनिवार्य किया गया है ताकि पानी बहकर सड़कों पर न आए और उनकी उम्र लंबी हो सके।

उन्होंने कहा कि उनकी योजना फैक्टरी में बड़े पैमाने पर प्रीकास्ट स्लैब तैयार कर उन्हें क्रेन से जोड़कर सड़कें बनाने की है। इस प्रणाली के लिए मानक परीक्षण प्रयोगशालाओं में किए जाएंगे। कुछ वर्ष पहले उन्होंने नगरपालिका के वेस्ट का सड़क निर्माण में उपयोग करने की योजना की घोषणा की थी और आज यह हकीकत बन चुकी है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे सहित अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों में 80 लाख टन लीगेसी सॉलिड वेस्ट का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के लिए पहले इस्पात से क्रैश बैरियर बनाए जाते थे, लेकिन अब बांस का उपयोग कर 80 किलोमीटर लंबे बैरियर बनाए गए हैं, जो इस्पात से भी ज्यादा मजबूत साबित हुए हैं। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि बांस उत्पादक किसानों की आय बढ़ेगी।

गडकरी ने कहा कि हरियाणा और पंजाब में पराली से सीजी तैयार की जा रही है, जिसका बाय-प्रोडक्ट बायो-ईंधन निर्माण में उपयोगी है। देश में छह नई बायो-विटामिन रिफाइनरियां शुरू की जा रही हैं, जो सड़क निर्माण के लिए पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेंगी। जबलपुर-नागपुर मार्ग पर इस तकनीक से एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाई गई है, जिसे केंद्रीय सड़क अनुसंधान संगठन ने पेट्रोलियम आधारित सड़कों से बेहतर प्रमाणित किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में भारत सड़क निर्माण के क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और गुणवत्ता दोनों में विश्व स्तर पर उदाहरण पेश करेगा।

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