AI-171 हादसा: 6 महीने बाद भी ताजा हैं जख्म, परिजनों का बिखरा सपना, कई परिवारों के ब्रिटेन के सपने टूटे
एआई-171 हादसे के छह महीने बाद भी पीड़ित परिवार सदमे में हैं। लंदन में बसे कई लोगों के सपने टूटे और वे मजबूरी में भारत लौटकर नई जिंदगी शुरू कर रहे हैं। पढ़िए उनकी दर्दनाक दास्तां।
अहमदाबादः 12 जून 2026 का वह ना भूलने वाला मनहूस दिन जब सैकड़ों हंसते-खेलते परिवारों की खुशियां छीन लीं थी। उस दिन अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की उड़ान एआई 171 के दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसके शुक्रवार को छह महीने पूरे हो गए और इस हादसे में कई लोगों ने अपने परिजनों को ही नहीं खोया बल्कि कई ऐसे सपने खो दिए जिसने जिंदगी बदल दी। हादसे को भले 6 महीने बीत जाने के बाद भी उसका दर्द आज भी है।
इस हादसे में प्लेन में सवार 260 लोगों के साथ क्रैश होकर गिरे जगह पर भी लोगों की जान ले ली थी। इस हादसे में गुजरात के कई उन परिवारों पर पड़ा जो ब्रिटेन में रहने के सपने को भी चकनाचूर कर दिया।
प्लेन में सवार होते ही हुआ ब्लास्ट
सूरत के रहने वाले हिरेन दयानी की मां कैलाशबेन उन 260 लोगों में से एक थीं, जिनकी मौत 12 जून को सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787-8 में हो गयी थी।मां हादसे में तो पिता की अटैक में गई जान
दयानी अपनी मां की मौत के गम से उबरे भी नहीं थे कि पिता को भी दिल का दौरा पड़ने की वजह से खो दिया। इसके बाद उन्होंने लंदन में अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी और पत्नी नम्रता के साथ सूरत में स्थायी रूप से बसने का फैसला किया। दयानी लंदन में एक क्लिनिकल रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में काम कर रहे थे, जबकि उनकी पत्नी एक दंत चिकित्सक के तौर पर काम करती थीं।
लंदन मिलने आ रही थी मां
दयानी ने बताया, ‘एम.फार्मा की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं 2020 में लंदन गया था और मैंने वहां स्थायी निवास दर्जा प्राप्त करने की योजना बनाई थी ताकि मैं और मेरी पत्नी आसानी से दोनों देशों के बीच यात्रा कर सकें। साथ ही भारत में अपनी मां के साथ लंबे समय तक रह सकें। जब यह त्रासदी हुई, तब मेरी मां अकेले लंदन जा रही थीं।’
जिम्मेदारी ने रोके कदम
उन्होंने बताया कि पिता की मृत्यु के बाद मुझे मानसिक रूप से कमजोर छोटी बहन की देखभाल करनी थी। दयानी ने बताया, 'यहां मेरी बहन की देखभाल करने वाला कोई नहीं था, इसलिए मैंने सूरत वापस आकर नए सिरे से शुरुआत करने का फैसला किया है। मुझे और मेरी पत्नी को कुछ नौकरियों के प्रस्ताव मिले, लेकिन वेतन ब्रिटेन की तुलना में बहुत कम है।' उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी ने एक डेंटल क्लिनिक खोला है, और मैं अपनी खुद की फार्मेसी शुरू करने के लिए काम कर रहा हूं।’
पत्नी-बेटे की मौत ने थाम दिए कदम
देवभूमि द्वारका जिले के भाणवड कस्बे के हरीश गोधानिया ने हादसे में पत्नी रिद्धि और तीन साल के बेटे को खो दिया। हादसे के समय रिद्धि दांत का ऑपरेशन करा कर लंदन लौट रही थी। गोधानिया अब अपने माता-पिता के साथ जामनगर में रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब वह ब्रिटेन वापस नहीं जा रहे हैं, जहां वह पिछले तीन वर्षों से डेटा विश्लेषक के रूप में काम कर रहे थे।
गोधानिया ने कहा, ‘मैं वापस नहीं जा रहा हूं। मैंने अपने बेटे के बेहतर भविष्य के लिए ब्रिटेन में बसने की योजना बनाई थी। लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं है। मैंने पत्नी और बेटे को खो दिया है।’