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इस बार तानसेन समारोह प्रदर्शनी में दिखेगी पंडित रविशंकर की स्वर्णिम संगीत यात्रा

Update: 2019-12-06 13:25 GMT

ग्वालियर/वेब डेस्क। तानसेन संगीत समारोह में इस बार प्रख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर के जीवन पर आधारित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। प्रदर्शनी में पंडित जी की संगीत यात्रा एवं उनके योगदान को दर्शाया जाएगा।

समारोह के दौरान तानसेन की समाधि स्थल हजीरा पर इस बार सितार वादक पं. रविशंकर के जीवन को प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शाया जाएगा। यह प्रदर्शनी उनके 100वें जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लगाई जाएगी। इसमें उन संगीतकारों के फोटो के साथ इस बात का भी उल्लेख होगा कि उन्होंने किस वर्ष समारोह में प्रस्तुति दी। इसमें समारोह और संस्कृति विभाग की ओर से होने वाले आयोजन की जानकारी का उल्लेख होगा। यह दोनों प्रदर्शनी 17 से शुरू होकर 21 दिसम्बर तक रहेंगी। ज्ञात रहे कि पं. रविशंकर ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अलाऊददीन खां से प्राप्त की। अपने भाई उदय शंकर के नृत्य दल के साथ भारत और भारत से बाहर समय गुजारने वाले पं. रविशंकर ने 1938 से 1944 तक सितार का अध्ययन किया और फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे। बाद में उनका विवाह भी उस्ताद अलाऊद्दीन खां की बेटी अन्नपूर्णा से हुआ।

1920 में हुआ था जन्म

भारतीय शास्त्रीय संगीत के पितामह पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ। 1999 में उन्हें भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सितार वादक पंडित रविशंकर का सैन डिएगो के एक अस्पताल में 92 साल की उम्र में 12 दिसम्बर 2012 को निधन हो गया था। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया।

नृत्य के जरिए कला जगत में प्रवेश किया

पंडित रविशंकर ने नृत्य के जरिए कला जगत में प्रवेश किया था। उन्होंने युवावस्था में अपने भाई के नृत्य समूह के साथ यूरोप और भारत में दौरा भी किया। अठारह साल की उम्र में पंडित जी ने नृत्य छोडक़र सितार सीखना शुरू कर दिया। पं. रविशंकर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन् 2009 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भारतीय संगीत को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वाले भारत रत्न और पद्म विभूषण से नवाजे गए पंडित रविशंकर को तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

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