ग्वालियर, न.सं.
परिवहन विभाग में पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से कम्प्यूटरीकरण का काम कर रही स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कार्यकाल पूरा हो चुका है। दिल्ली की यह कंपनी 15 वर्ष पुरानी है। कंपनी द्वारा की गई अनियमितताओं को लेकर इस कंपनी को परिवहन विभाग से बाहर किया जा सकता है। यह निर्णय शीघ्र ही होने वाला है।
स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने वर्ष 2013 सितम्बर माह में परिवहन विभाग से पांच वर्ष के लिए अनुबंध किया था। कंपनी का कार्यकाल पिछले वर्ष ही पूरा हो गया था, लेकिन विभाग के राजस्व लक्ष्य एवं अन्य कारणों की वजह से कंपनी के कार्यकाल को 26 मार्च 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। इधर कंपनी के खिलाफ परिवहन आयुक्त कार्यालय से लेकर शासन स्तर पर कई शिकायतें लंबित हैं। ऐसी स्थिति में कंपनी पर खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते कंपनी को परिवहन विभाग से बाहर किया जा सकता है।
हालांकि कंपनी अगले पांच वर्ष के लिए अपना कार्यकाल बढ़वाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। सूत्रों के अनुसार शासन स्तर पर परिवहन विभाग से कम्प्यूटरीकरण से जुड़े कार्य के लिए नए सिरे से टेंडर बुलाने का पक्ष रखा गया है। जल्द ही परिवहन मंत्री, प्रमुख सचिव एवं परिवहन आयुक्त के बीच एक बैठक होने वाली है, जिसमें नवीन टेंडर का निर्णय लिया जा सकता है।
बैठक में होगा निर्णय
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कंपनी के खिलाफ विभाग को निरंतर अनियमतिताओं और गड़बडिय़ों की शिकायत मिल रही है। इन शिकायतों के आधार पर सरकार इस कंपनी का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में नहीं है और नए सिरे से टेंडर बुलाने की सोच रही है। इधर विभागीय मंत्री, प्रमुख सचिव और परिवहन आयुक्त की जल्द बैठक होने वाली है। इस बैठक में ही निर्णय लिया जाएगा। वर्तमान में इस कंपनी द्वारा स्थाई और अस्थाई लाइसेंस जारी करना, रजिस्टे्रशन करना एवं वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट देने जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
सभी कार्यालयों में तैनात हैं कंपनी के कर्मचारी
स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी सभी जिला परिवहन कार्यालयों में तैनात हैं। प्रदेश की सरकार बदल चुकी है और कांग्रेस सरकार ने सभी कार्यों को अपने हाथों में ले लिया है। अब सत्ता बदलने के साथ कंपनी के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है कि उसे बाहर नहीं कर दिया जाए। सूत्रों का कहना है कि कंपनी अपना कार्यकाल पांच साल और बढ़वाने के लिए प्रयासरत है।
इनका कहना है
'कंपनी की कार्यपद्धति को देखने के बाद ही उसकी अनुबंध अवधि बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। अभी कंपनी के बारे में मुझे बहुत अधिक जानकारी नहीं है।'
-गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन मंत्री