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सपने में खतरों से आगाह करती थीं 'मांढरे वाली माता'

Update: 2020-10-18 00:45 GMT

ग्वालियर, न.सं.। नवरात्रि के पहले दिन शनिवार को शहर के माता मंदिरों पर भक्तों की भीड़ देखने को मिली। पहले ही दिन लोग सुबह से माता के मंदिर पर पहुँचे और मातारानी के दर्शन किए। आज हम आपको शहर के बीचों-बीच कैंसर पहाड़ी पर स्थित मांढरे की माता के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मांडरे की माता का मंदिर 147 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की स्थापना तत्कालीन महाराज जयाजीराव सिंधिया ने करवाई थी। 147 वर्ष पूर्व मंदिर के पुजारी आनंद राव मांढरे थे।

महाराष्ट्र के बायपास सतारा में मांढरे की माता का एक मंदिर था। इस मंदिर की पूजा आनंद राव मांढरे करते थे। उस वक्त ग्वालियर शहर के महाराज जयाजीराव सिंधिया महाराष्ट्र गए। वहां से वह आनंद राव मांढरे को अपने साथ महल में ले आए और सेना की जिम्मेदारी सौंप दी। आनंद राव मांढरे के ग्वालियर आने के कुछ दिन बाद माता ने महाराज और आनंद राव मांढरे को सपने में दर्शन देना शुरू कर दिया और आने वाले खतरों से आगाह करने लगी। माता की चेतावनी सटीक बैठने लगी। एक बार माता ने आनंद राव मांढरे को सपने में कहा कि या तो तू मेरे पास महाराष्ट्र आजा या मुझे यहां से अपने पास ले चल। यह बात आनंद राव मांढरे ने महाराज को बताई। इसके बाद मांढरे की माता को सतारा गांव से ग्वालियर शहर लाया गया। इसी के साथ मंदिर के लिए जमीन की तलाश हुई और अंतत: महाराज को कैंसर पहाड़ी पर मंदिर के लिए जगह मिल गई। इसके बाद इस मंदिर में अष्टभुजा वाली महिषासुद मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा को स्थापित किया गया। महाराज ने माता के दर्शन करने के लिए अपने महल में एक खास झरोखा भी तैयार किया कि जिससे वह माता के प्रतिदिन दर्शन कर सकें। जयाजीराव सिंधिया ने आंनद राव मांढरे को सेना आदि के कार्य से मुक्त कर मांढरे की माता के मंदिर का पुजारी बना दिया। आनंद राव मांढरे के बाद उनके पुत्र रामराव मांढरे, अमृत राव मांढरे, बाबू राव मांढरे, मनीष राव मांढरे और वर्तमान में अशोक राव मांढरे द्वारा माता की पूजा की जा रही है।

भक्तों को अटूट विश्वास है माता पर:-(फोटो हैं रविन्द्र और बबीता के नाम से )

मांढरे की माता पर भक्तों का अटूट विश्वास है। भक्त यहां नवदुर्गा के अलावा भी दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। माता हर भक्त की मुराद को पूरा करती हैं। अभिभाषक रविन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि वह यहां 20 वर्ष से आ रहे हैं। मां की कृपा से उनकी हर मनोकामना पूरी हुई है। उन्होंने बताया कि मेरा बेटा एमबीबीएस में चयनित हो गया है। बबीता चांदोलकर ने बताया कि वह यहां बचपन से आ रही हैं। माता ने उनकी हर छोटी व बड़ी मांग को पूरा किया है।

इनका कहना है:- 

'यह मंदिर 147 वर्ष पुराना है। माता के दर्शन उपरांत जयाजीराव सिंधिया और आनंद राव मांढरे ने इस मंदिर की स्थापना की है। यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है।'

अशोक राव मांढरे, पुजारी, मांढरे की माता मंदिर

गर्भ ग्रह के बाहर से ही भक्तों ने किए माता के दर्शन:-

कोरोना संक्रमण काल के दौरान नवरात्रि का यह महाउत्सव शनिवार 17 अक्टूबर से शुरू हो गया। नवरात्रि के पहले दिन भक्त माता के मंदिर तो पहुँचे लेकिन इन्हे गर्भ ग्रह तक ही प्रवेश दिया गया। भक्तों द्वारा लाई गई प्रसादी, पुष्प और माता की चुनरी को बाहर ही रखवा लिया गया और माता के दर्शन कराकर भक्तों को दूसरे द्वार से बाहर निकाल दिया। इस मौके पर शहर के प्रसिद्ध देवी के मंदिर मांढरे की माता, नहरवाली माता, शीतला माता, मंशा देवी, वैष्णो देवी माता, भेलसे वाली माता, काली माता आदि मंदिरों पर भक्तों की भीड़ देखने को मिली। इस मौके पर माता का अद्भुद श्रंगार भी सभी के मन को मोह रहा था।

गाजे-बाजे के साथ स्थापित हुईं माता:-

सिंहवाहिनी मां दुर्गा शनिवार को सुबह से पंडालों में गाजे-बाजे के साथ शुभ मुहुर्त में पहुँचने लगी। माता को विराजमान करने का यह सिलसिला रात तक जारी रहा। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सभी पंडालों में छह फुट ऊँचाई की माता की प्रतिमा ही स्थापित की गई। इस मौके पर मंदिरों और पंडालों में आकर्षक विद्युत सजावट करने से शहर का माहौल भक्तिमय हुआ नजर आया। जगह-जगह माता के जयकारे लगते रहे।

पूर्व महापौर ने किया कन्या पूजन:-

नवरात्रि के प्रथम दिन सिंधी कॉलोनी व सेवा नगर मैं पूजा अर्चना कर कन्या पूजन किया गया। इस मौके पर कन्याओं व बुजुर्ग माताओं को वस्त्र उपहार के रूप में दिए गए।

कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के प्रति सम्मान और शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अलख जगाना है। यह कार्यक्रम 9 दिन तक लगातार शहर के विभिन्न क्षेत्रों और बस्तियों में किए जाएंगे। इस मौके पर पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, अंजलि बत्रा, सुभाष शर्मा, पुष्पा माहौर, भारती राजोरिया, रुकमणी जोशी एवं ममता आर्य आदि उपस्थित थे।

बाजार हुए गुलजार:-

नवरात्रि के शुभ मुहुर्त में जहां मंदिरों में जगमगाहट दिखाई दी, वहीं शहर के बाजार भी गुलजार रहे। इस मौके पर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रोनिक्स, रियल स्टेट, सराफा बाजार एवं कपड़ा बाजार में अच्छी खासी खरीदारी देखने को मिली।

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