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मिलावटखोरी को लेकर उच्च न्यायालय का बड़ा निर्णय

प्रत्येक जिले में जांच स्थल और प्रयोगशाला बनाएं

Update: 2019-08-11 01:15 GMT
File Photo

 ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। मिलावटखोरों के खिलाफ मप्र उच्च न्यायालय ने एक बड़ा आदेश जारी किया है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ग्वालियर खंडपीठ ने आदेश दिया है कि हर जिले की सीमा पर जांच स्थल और प्रयोगशाला बनाई जाए। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि समय सीमा में दोषी मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई हो,

मिलावटखोर शीतल पेय और डेयरियों पर तीन महीने में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।राज्य सरकार 2006 फूड सेफ्टी कानून का कड़ाई से पालन कराए। यह याचिका उमेश कुमार बोहरे ने लगाई है। जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकार सहित 24 लोगों को पक्षकार बनाया गया है ।

उल्लेखनीय की है कि पिछले एक माह से प्रदेशभर के शहरों में दूध,तेल एवं अन्य खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर मिलावटखोरी का कारोबार पकड़ा जा रहा है, जिससे आमजन धीमे जहर को खाने पर मजबूर है।इसे लेकर दायर याचिका की गंभीरता को देखते हुए मप्र उच्च न्यायालय ने प्रदेश शासन को आदेश दिया है कि वह मध्य प्रदेश के हर जिले की सीमा पर जांच स्थल और प्रयोगशाला बनाएं। जिससे मिलावटखोरों के खाद्य पदार्थों की जांच पड़ताल हो सकें। साथ ही प्रयोगशाला रोजाना 24 घंटे खोलने के भी आदेश जारी किए है। इसके साथ ही कहा है कि प्रदेश में जो मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई राज्य सरकार के आदेश के बाद की गई है, उसमें तीन महीने में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। याचिका में 24 विभागों को पार्टी बनाया था। साथ ही केंद्र सरकार से पूछा था कि वह ये बताएं दूध का उत्पादन कम है, लेकिन खपत, उत्पादन से ज्यादा कैसे हो रही है। क्योंकि देश में 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन है, लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर की हो रही है।

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