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ट्रेन में यात्रा करने वाले चिकित्सक नहीं करते बीमार यात्री की मदद

टीटीई भी कर रहे लापरवाही

Update: 2018-08-09 07:08 GMT

ग्वालियर। ट्रेन में अगर कोई यात्री बीमार पड़ता है तो उस ट्रेन में यात्रा कर रहे चिकित्सक की मदद ली जा सकती है। रेलवे ने ऐसा नियम बना रखा है, इसलिए आरक्षण फार्म में ही चिकित्सकों से उनका पेशा अंकित करा लिया जाता है। हालांकि जोनल से गुजरने वाली ट्रेनों में अब तक यात्रा के दौरान किसी चिकित्सक ने मरीज की मदद नहीं की और न ही टीटीई स्टाफ ने ट्रेनों में चिकित्सकों को तलाशने की जहमत उठाई।

चिकित्सकों का पेशा अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। इस महत्व को रेलवे भी अच्छी तरह से समझती है, इसलिए आरक्षण फार्म में ही एक कॉलम चिकित्सकों के लिए है। फार्म भरते समय चिकित्सकों को उस पर अंकित कर बताना होता है। ऐसा इसलिए है ताकि ट्रेन में आवश्यकता पडऩे पर चिकित्सक की मदद ली जा सके। इस नियम को टीटीई को फॉलो करना है, लेकिन जैसे ही टीटीई के पास कोई यात्री मेडिकल मदद के लिए पहुंचता है तो वह तत्काल कंट्रोल को खबर देकर अगले स्टेशन में डॉक्टर की व्यवस्था करने कहता है। यह गंभीर मामला है क्योंकि हर ट्रेन में डॉक्टर व स्टाफ भेज पाना रेलवे के लिए संभव नहीं है। ऐसे में रेलवे ने निर्णय लिया था कि 1000 से 1200 यात्रियों को लेकर चलने वाली ट्रेन में एक चिकित्सक तो होता ही है।

ग्वालियर स्टेशन पर भी नहीं आ पाते चिकित्सक

कई बार ऐसी स्थिति बनती है, जब स्टेशन पर यात्री को चिकित्सक अटैंड करते हैं। इसके बाद जब वह वापस चले जाते हैं तो डिप्टी एसएस उन्हें फिर से सूचना देकर वापस आने को कहते हैं, जिसके चलते चिकित्सकों को भी बार-बार स्टेशन आने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ऐसे हो सकती है तलाश

जिस ट्रेन में कोई यात्री बीमार पड़े और टीटीई तक खबर पहुंचे तो सबसे पहले टीटीई को चाहिए कि वह और उसके साथी ट्रेन के आरक्षण चार्ट की जांच करे। अगर उसमें कोई चिकित्सक उपलब्ध हो तो सबसे पहले उससे जाकर मदद की गुजारिश करे। अगर चिकित्सक मना कर दें तो आगामी स्टेशन के लिए चिकित्सक व उनकी टीम के लिए कंट्रोल को सूचित करे, लेकिन अभी टीटीई ऐसा नहीं करते। वे सीधे कंट्रोल रूम को सूचना देकर पीडि़त यात्री को सांत्वना देकर चले जाते हैं। 

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