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पहले से दुगनी राशि में हुआ सफाई ठेका, कागजों में चल रही है सफाई

Update: 2020-01-04 00:00 GMT
स्टेशन के प्लेटफार्म 2, 3 व 4 पर नहीं पहुंच रहे सफाई कर्मचारी

ग्वालियर,न.सं.। सफाई का ठेका भले ही दुगुनी राशि में हुआ है, लेकिन रेलवे स्टेशन की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे ही रही है। ठेके की शर्तों के अनुसार कभी काम नहीं हुआ और न ही तय संख्या में स्टाफ रखा गया। ठेके की शर्तों के अंतर्गत खास कर सभी प्लेटफार्म पर 24 घंटे सफाई होनी चाहिए थी, इसमें सफाई के तरीके भी तय किए गए थे। लेकिन किसी भी शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन व ट्रैकों की सफाई नियमित रूप से न होने के चलते यहां गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो चुका है। गंदगी के चलते यहां बदबू फैल रही है। आलम यह है कि जब तक किसी शीर्ष अधिकारी के आने की सूचना नहीं मिलती तब तक सफाई नहीं होती हैं। इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारी कागजों में सफाई करवा रहे है। रेलवे ने कुछ माह पहले लखनऊ की एक कंपनी को सफाई का ठेका दिया था। इससे पहले रेलवे सफाई कर्मचारियों पर 4 लाख 68 हतार 753 रुपए हर माह खर्च करता था। नई व्यवस्था में रेलवे कंपनी को हर माह लगभग 22 लाख रुपए सफाई के लिए दे रहा है। लेकिन उसके बाद भी सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आ रहा है।

जिनके ऊपर जिम्मेदारी, वह कार्यालय में

रेलवे स्टेशन की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी स्टेशन पर पदस्थ सीएचआई बलराम मीणा के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की है। लेकिन सभी अधिकारी रेलवे स्टेशन पर बने कार्यालयों में बैठे नजर आते है। जबकि झांसी में बैठे अधिकारियों के साफ निर्देश है कि सफाई व्यवस्था हमेशा दुरुस्त रखे।

अधिकारियों के आने पर चलती है मशीनें

रेलवे स्टेशन पर जब भी झांसी या इलाहाबाद से अधिकारी आते है, तो स्टेशन पर सफाई कर्मचारी उनको दिखाने के लिए आगे पीछे मशीनें चलाते है। जबकि आम दिनों में सिर्फ एक या दो बार मशीन चलती दिखाई देती है। इतना ही नहीं प्लेटफार्म क्रमांक दो से चार तक तो सफाई सिर्फ दिखावे की होती है।

सीएचआई को डीआरएम लगा चुके है फटकार

बीते दिनों रेलवे स्टेशन पर डीआरएम संदीप माथुर जब निरीक्षण के लिए आए थे, तो उन्होंने सीएचआई बलराम मीणा को फटकार लगाते हुए चेतावनी दी थी कि सफाई व्यवस्था ठीक करो। लेकिन उसके बाद भी सफाई व्यवस्था राम भरोसे है।

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