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नवजात शिशुओं की माताओं के लिए ठौर नहीं

Update: 2018-08-22 06:23 GMT

जमीन पर गुजारना पड़ रही रात कब आएगी नौकरशाहों को शर्म प्रसूताओं की हो रही है दुर्दशा

ग्वालियर। संवेदनाओं का ढोल पीटने वाली सरकार और उसके नौकरशाहों को कब शर्म आएगी? यह हमारी समझ से परे है। यह तस्वीर उन महिलाओं की है, जिनके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। यह महिलाएं सिर्फ अपने बच्चों की खातिर यह पीड़ा सहन कर रही हैं। मां शब्द जो सबसे बड़ा व पूज्यनीय माना जाता है, उसकी दुर्दशा दिखाती यह प्रसूताएं हैं। बच्चे जो मां-बाप की लाठी होते हैं और उनके बुढ़ापे का सहारा भी। उन बच्चों की खातिर मां कितने कष्ट झेलती है? यह जगजाहिर है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की वजह से इन माताओं की दुर्दशा हो रही है। अगर आप कमलाराजा अस्पताल में प्रवेश करेंगे तो आपको अस्पताल परिसर, बरामदे, चबूरते और किसी विभाग के दरवाजे पर कुछ बैठी, कुछ लेटी, तो कुछ अन्य काम करती महिलाएं मिल जाएंगी। यह वे महिलाएं हैं, जो अपने नवजात बच्चों की खातिर जमीन पर रात गुजारने को मजबूर हैं क्योंकि इनके नवजात बच्चे किसी न किसी परेशानी के चलते कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू (गहन बाल रोग चिकित्सा इकाई) में भर्ती हैं।

दरअसल मुरार जिला अस्पताल के एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट होने से आगजनी की कई घटनाएं सामने आई थीं। इसी के चलते एसएनसीयू को बंद कर विद्युत फिटिंग कराई जा रही हैं। इस कारण अब प्रसव के बाद नवाजात शिशुओं को भी सीधे कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू में भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं, गत दिवस मुरैना जिला अस्पताल के एसएनसीयू में हुए फॉल्ट के कारण वहां से भी नवजात शिशुओं को कमलाराजा अस्पताल में ही रैफर किया जा रहा है, जिसके चलते अब कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू में 30 वार्मर और 10 फोटो थैरेपी मशीन पर करीब 110 नवजात शिशु भर्ती हैं, लेकिन कमलाराजा अस्पताल के मदर वार्ड में सिर्फ 30 ही पलंग हैं, जिस कारण प्रसूताओं को काफी समस्या हो रही है क्योंकि प्रसूताओं को समय-समय पर अपने बच्चे को दूध पिलाने जाना पड़ता है।

इंन्फेक्शन का बना रहता है खतरा, नहीं कर सके मदर वार्ड शुरू

प्रसव के बाद महिलाओं को कम से कम तीन दिन तक अस्पताल में पलंग पर रखा जाता है, लेकिन कमलाराजा अस्पताल में मुरार सहित, मुरैना व भिण्ड से आने वाले नवजात शिशुओं की माताओं को प्रसव के बाद ही जमीन पर लेटने के लिए कह दिया जाता है क्योंकि कमलाराजा अस्पताल के मदर वार्ड में पर्याप्त पलंग नहीं हैं। इतना ही नहीं, मदर वार्ड में पलंग संख्या कम होने के कारण अस्पताल परिसर में करीब 50 पलंगों के नए मदर वार्ड का निर्माण भी कराया गया, लेकिन विद्युत फिटिंग के कारण नया मदर वार्ड शुरू ही नहीं किया जा सका। ऐसे में उनमें संक्रमण सहित अन्य बीमारियों का खतरा बना रहता है।

कमलाराजा में प्रतिवर्ष भर्ती होते हैं छह हजार नवजात

कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू में कई बार शॉर्ट सर्किट और आगजनी जैसी घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन आज तक यहां का एसएनसीयू बंद नहीं किया गया। अगर एसएनसीयू में कोई कार्य कराया जाता है तो आधी यूनिट को बंद कर काम करा लिया जाता है, जबकि मुरार एसएनसीयू आए दिन बंद होता रहता है। इतना ही नहीं, कमलाराजा अस्पताल में नवजातों के भर्ती की बात करें तो यहां प्रतिवर्ष करीब 6000 नवजात उपचार के लिए भर्ती होते हैं, जो प्रदेश भर में सबसे ज्यादा हैं, जिससे साफ है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की जगह कमलाराजा अस्पताल का भार बढ़ा रहे हैं।

ऐसे हो सकता है समाधान

मुरार एसएनसीयू में अगर विद्युत फिटिंग कराई जा रही है तो पूरी यूनिट को बंद नहीं करना चाहिए। आधी यूनिट को बंद कर काम करना चाहिए।

अगर मुरार एसएनसीयू को बंद भी किया गया तो यहां का स्टाफ कमलाराजा अस्पताल भेजा जाना चाहिए क्योंकि कमलाराजा अस्पताल में भी स्टाफ सिर्फ 30 से 40 बच्चों के हिसाब से ही पदस्थ है।

कमलाराजा अस्पताल में एसएनसीयू यूनिट और मदर वार्ड को बढ़ाने का प्रपोजल प्रदेश सरकार को भेजा गया था, लेकिन आज तक यह प्रपोजल पास नहीं हो सका। अगर यह प्रपोजल पास होता है तो बहुत राहत मिलेगी।

''मुरैना जिला अस्पताल में आमना ने 13 अगस्त को शिशि को जन्म दिया था, जिसे बाद में मुरैना अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती किया गया, लेकिन गत दिवस मुरैना एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट होने के कारण उनके बच्चे को कमलाराजा रैफर कर दिया गया। इस कारण उन्हें यहां गैलरी में ही रात गुजारना पड़ रही है।ÓÓ

''भितरवार निवासी सबीना ने 13 अगस्त को कमलाराजा अस्पताल में ही बच्चे को जन्म दिया था। बच्चे का वजन कम होने के कारण उसे एसएनसीयू में रखा गया है। इसके बाद कमलाराजा अस्पताल के गायनिक विभाग में उसकी 16 अगस्त को छुट्टी कर दी गई। इस कारण अब वह बच्चे को दूध पिलाने के लिए जमीन पर ही लेटी हुई है।ÓÓ

''मदर वार्ड में विद्युत फिटिंग के लिए ईएण्डएम विभाग को लिखा गया है। जल्द ही नए मदर वार्ड को प्रसूताओं के लिए शुरू किया जाएगा। ÓÓ

डॉ. जे.एस. सिकरवार, अधीक्षक, जयारोग्य अस्पताल

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