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वाहनों की सुरक्षा पर 'समय' की सेंध

Update: 2019-03-28 17:42 GMT

वाहन चोरी रोकने के लिए बनाई गई योजना

भोपाल/विशेष संवाददाता। मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग करीब चार साल से वाहनों में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) नहीं लगवा पा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक व्यापक जनहित में इसे लगवाना अनिवार्य है। इससे वाहन चोरी की घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है। चोरी के वाहनों की रजिस्ट्रेशन प्लेट बदलकर अन्य अपराधों में उसका उपयोग करने वालों पर नकेल कसी जा सकती है लेकिन प्रदेश में अधूरी तैयारी के साथ शुरू होने के बाद यह मामला चार सालों से न्यायालयों के चक्कर काट रहा है। वाहनों- आमजन की सुरक्षा से जुड़ा एक तार्किक उपाय अदालती कार्रवाई में लग रहे समय की वजह से अंजाम तक नहीं पहुंच रहा है।

यह समय सुरक्षा में लगातार सेंध भी लगा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 2012 में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि 15 जून 2012 तक सभी वाहनों में एचएसआरपी लगाना सुनिश्चित करें। सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश में यह भी कहा था कि यह न सिर्फ राज्य की सुरक्षा के हित में बल्कि व्यापक जनहित में भी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों के लिए इसका पालन अनिवार्य किया था। इसकी अवमानना के मामले में मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों को नोटिस भी जारी हो चुका है। याचिका में टेंपर प्रूफ नंबर प्लेट यानी एचएसआरपी लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि समाज विरोधी तत्व मौजूदा व्यवस्था को नुकसान न पहुंचा सकें।

पूरे प्रदेश में वाहनों में एचएसआरपी लगाने का ठेका लिंक उत्सव प्रा.लि. (कंपनी) को दिया गया था। भ्रष्टाचार के आरोप व गड़बडिय़ों की शिकायत के बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ठेका निरस्त करने के निर्देश दिए थे। कंपनी फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय तक गई, लेकिन राहत नहीं मिली। इस कवायद में एचएसआरपी लगाने का ठप हुआ काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। इस दौरान विभाग इसके लिए अन्य कोई कंपनी भी तलाश नहीं पाया। प्रदेश में 18 अक्टूबर 2014 से वाहनों में एचएसआरपी लगाने का काम बंद है। ऐसे में लोग मोटर व्हीकल एक्ट का पालन किए बगैर सामान्य रजिस्ट्रेशन (नंबर) प्लेट लगवाने को मजबूर हैं।

चोरी के वाहन ढूंढने की पहल

वाहन चोरी राज्यों की सीमाओं से परे कितनी बड़ी समस्या है इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो एक वाहन समन्वय प्रणाली चलाता है ताकि लोग अपने चोरी हुए वाहन की जानकारी अन्य राज्यों की पुलिस से साझा कर सकें और वाहन बरामद होने पर उसे प्राप्त कर सकें। चोरी के वाहनों से अपराध के मामले तो अलग हैं ही।

अब 1 अप्रैल से वाहन डीलरों को जिम्मेदारी

सड़क परिवहन मंत्रालय के आदेश पर 1 अप्रैल 2019 से डीलर शोरूम से बिकने वाले वाहनों में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाकर देंगे। इसके लिए 4 दिसंबर 2018 को सड़क परिवहन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया था कि वाहन निर्माता अपने सभी डीलरों को हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट उपलब्ध करावाएंगे और डीलर वाहनों में इस प्लेट को लगाने के बाद ही शोरूम से बाहर निकालेंगे। लेकिन इस नई व्यवस्था को लेकर अभी तक कोई तैयारी नहीं है। जानकारों के मुताबिक छोटे वितरक इसका अभी से विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें प्लेट बनाने के लिए संसाधन जुटाना होंगे। नए वाहनों के अलावा पुराने वाहनों में ये प्लेट्स कब और कैसे लगेंगी, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। एक साथ वितरकों के पास इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन प्लेट कैसे आएंगी यह भी स्पष्ट नहीं है। कुल मिलाकर 1 अप्रैल में भले ही एक हफ्ते का समय हो लेकिन कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है।

आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में चल रहा है मामला

वाहनों में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने का मामला दिल्ली में आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में चल रहा है। जस्टिस दीपक वर्मा सहित दो अन्य जज सुनवाई कर रहे हैं। अंतिम निर्णय के बाद ही वाहनों में यह रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

- डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव,परिवहन आयुक्त, मप्र

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