विधानसभा सत्र : भाजपा ने लगाया आरोप, कांग्रेस ने 2019 में मनमाने तरीके से किया था परिसीमन

Update: 2021-12-21 14:17 GMT

भोपाल।  विधानसभा में मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण मामले में कांग्रेस ने सदन में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया। इस पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। 

विधानसभा का कार्रवाई हंगामेदार रही। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मामले में कांग्रेस ने सदन में स्थगन प्रस्ताव दिया। इस पर सदन में जोरदार बहस हुई। कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर सबसे पहले बोलते हुए पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में परिसीमन और आरक्षण को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। उन्होंने सदन में प्रस्ताव रखा कि न्यायालय के अलावा लोक सेवा आयोग, राज्य सेवा आयोग व अन्य आयोगों में भी आरक्षण होना चाहिए इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा को एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना चाहिए। 

इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से 2019 में परिसीमन किया था। कांग्रेस इस मामले को लेकर 5 बार न्यायालय में गई। यदि यह तथ्य गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने कहा, सरकार बताए कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील क्यों नहीं खड़े हुए यदि यह सही नहीं है तो मैं भी इस्तीफा देने को तैयार हूं। 

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से 2019 में परिसीमन किया था। कांग्रेस इस मामले को लेकर 5 बार न्यायालय में गई। यदि यह तथ्य गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने कहा सरकार बताए कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील क्यों नहीं खड़े हुए यदि यह सही नहीं है तो मैं भी इस्तीफा देने को तैयार हूं। इससे पहले सदन की कार्रवाई शुरू होने से पहले गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के साथ कांग्रेस ने जो पाप किया है, वह विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाने से दब नहीं जाएगा। सरकार नियम प्रक्रिया के अनुसार सदन में हर चर्चा के लिए तैयार है। 

नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ में स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला भाजपा सरकार के उस अध्यादेश के खिलाफ गया था, जिसमें उन्होंने रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया था। हमारी सरकार ने सीमांकन और रोटेशन किया था, जो विधि सम्मत था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने डेढ़ साल तक कोई चुनाव नहीं कराए। जबकि, इस दौरान विधानसभा के उपचुनाव भी हो गए। फिर अचानक अध्यादेश ले आए, जिससे प्रभावित पक्ष कोर्ट गए।

इसके जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा रही है। मैं पिछले दो दिन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय विधि मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री के साथ संपर्क में रहकर इस विषय के निराकरण के लिए प्रयासरत था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोगों द्वारा जो रोटेशन के खिलाफ याचिका लगाई गई थी, उस पर ही ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने का निर्णय आया है। इसके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। हमारी सरकार ने सभी वर्गों के हितों के काम किए हैं। कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता उस समय न्यायालय में ही थे, जब यह फैसला आ रहा था, तब उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी वाचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए। हम जो अध्यादेश लाए थे, वह नियम कानूनों के तहत था।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ सबको मिले यह हमारा प्रयास है। पिछड़े वर्ग के कल्याण में कोई कसर न छोड़ी गई है और न छोड़ी जाएगी। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में 27 फीसदी आरक्षण देने का दिखावा किया था। उस वक्त लोकसभा के चुनाव थे, लेकिन जब हाईकोर्ट में इस आरक्षण को चुनौती दी गई तब तत्कालीन महाधिवक्ता ने पैरवी नहीं की। कमजोर पक्ष रखे जाने की वजह से हाईकोर्ट ने उसे स्थगित कर दिया था। हमारी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का काम किया है, जिन मामलों में हाईकोर्ट में याचिका लंबित है उन्हें छोड़कर 27 फीसदी का लाभ दिया जा रहा है। कई नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ भी अभ्यर्थियों को मिल चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपने का काम कांग्रेस ने किया है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए आरक्षित जिला पंचायत सदस्य, जनपद, सरपंच व पंच के पदों के निर्वाचन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही पंचायत विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण पद के लिए आरक्षण प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी थी। इसके बाद 18 दिसंबर को आयोग ने सरकार को कोर्ट की प्रति भेजकर 7 दिन में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर जानकारी देने के लिए पत्र भेजा था।

 


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