‘लंगड़े घोड़े’ बयान पर सियासी बवाल: राहुल के बयान के बाद से बुजुर्ग नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर संकट…

Update: 2025-06-06 01:29 GMT

पुष्‍पेंद्र रघुवंशी, भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन दिन पहले संगठन सृजन अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में 'घोड़ों की रेस' वाला बयान देकर पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को झटका दे गए हैं। पार्टी में संगठन सृजन कार्यक्रम से ज्यादा राहुल के बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

संगठन सृजन से पार्टी कितनी मजबूत होगी यह भविष्य में देखने को मिलेगा, लेकिन पार्टी के बुजुर्ग नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया जैसे नेताओं का राजनीतिक भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी के बयान से साफ है कि भविष्य में बुजुर्ग नेताओं को लोकसभा या विधानसभा का टिकट नहीं मिलेगा।

वर्तमान में दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं और कमलनाथ विधायक हैं। जबकि कांतिलाल भूरिया पिछला लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। फिलहाल उनके पास कोई दायित्व नहीं है। इसी तरह चंबल क्षेत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ गोविंद सिंह भी पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।

उनके पास भी कोई जिम्मेदारी नहीं है। फिलहाल मप्र कांग्रेस में अन्य कोई बुजुर्ग नेता ऐसा नहीं है, जो सक्रिय है। पार्टी में चर्चा है कि संगठन सृजन अभियान के बाद ये नेता भी सक्रिय राजनीति से किनारे कर दिए जाएंगे। इसके अलावा अन्य नेताओं को भी संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं मिलेगी और न ही भविष्य में टिकट की संभावना बनेगी।

खेमेबाजी खत्म होने पर संशय

कांग्रेस नेतृत्व संगठन सृजन अभियान के जरिए राज्यों में पार्टी को चुनिंदा नेताओं के एकाधिकारी या खेमेबाजी से मुक्त कराना चाहती है। लेकिन सवाल अब भी है कि क्या पार्टी का संगठन सृजन अभियान मप्र में गुटबाजी को खत्म करने में कामयाब हो पाएगा। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मप्र कांग्रेस को दिग्विजय, कमलनाथ जैसे नेताओं के वर्चस्व से मुक्त कराना इतना आसान नहीं है। पूर्व में ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के इर्द-गिर्द ही सिमटी थी।

बुजुर्ग नेताओं ने स्थापित किए बेटे

कांग्रेस में प्रमुख बुजुर्ग नेताओं के बेटे राजनीति में स्थापित हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमंंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह तीसरी बार के विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ सांसद रह चुके हैं। कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया विधायक हैं। वहीं दूसरी ओर मप्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत सुभाष यादव के दोनों बेटे अरुण यादव और सचिन यादव स्थापित हैं। सचिन वर्तमान में विधायक हैं। इसी तरह अन्य नेताओं के बेटे भी राजनीति में सक्रिय हैं। हालांकि डॉ गोविंद सिंह अपने बेटे को राजनीति में स्थापित नहीं कर पाए हैं। वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष हैं।

कांग्रेस में दूसरी पीढ़ी के गुट भी तैयार

कांग्रेस नेतृत्व 'संगठन सृजनश' से आम कार्यकर्ता को संगठन में प्रमुख स्थान दिलाने में सफल होता है या नहीं। यह भविष्य में पता चलेगा, लेकिन प्रथम पंक्ति के नेताओं के घर बैठने या मार्गदर्शक मंडल में भेजने के बाद भी मप्र कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं होगी। क्योंकि पार्टी में दूसरी पंक्ति की भी गुटबाजी तैयार हो रही है। कांग्रेस में दूसरी पंक्ति के नेताओं में प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, अरुण यादव, अजय सिंह, जयवर्धन सिंह, हेमंत कटारे, कमलेश्वर पटेल आदि की गिनती होती है। लेकिन दूसरी पंक्ति के नेताओं में भी गुटबाजी तैयार हो रही है। मौजूदा स्थिति में ही जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, अजय सिंह, जयवर्धन सिंह, कमलेश्वर पटेल और अरुण यादव के बीच समय-समय पर गुटबाजी जैसी स्थिति देखने को मिली है।

सिंधिया ने जताई आपत्ति, बोले- ये किस हद तक जाएंगे

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंगड़े घोड़े वाले बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दिव्यांगजनों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकलांग का शब्द परिवर्तित करके दिव्यांगजन का नाम दिया है। इसका मतलब वे लोग जिन्हें भगवान का विशेष आशीर्वाद है। उन्हें तो हमें प्रणाम करना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी उनको लेकर अपशब्द उपयोग करते हैं, ये किस हद तक जाएंगे, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

पद्मश्री लोहिया ने भी जताई आपत्ति

इसी के साथ पद्मश्री अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सत्येंद्र लोहिया ने भी इस बयान पर आपत्ति की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है प्रधानमंत्री ने हमें दिव्यांग जैसा सकारात्मक शब्द दिया जो हमारी क्षमताओं को दर्शाता है न कि हमारी चुनौतियों को। यह शब्द एक व्यक्ति नहीं पूरे दिव्यांग समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। हमारी भी आत्म सम्मान और प्रतिनिधित्व है हम सहानुभूति नहीं समान अधिकार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं।

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