सीरिया में अमेरिकी सैनिकों पर ISIS का हमला, 3 की मौत। ट्रम्प बोले- मुंहतोड़ जवाब देंगे
सीरिया के पल्मायरा में ISIS ने अमेरिकी सैनिकों पर हमला किया। 3 की मौत के बाद ट्रम्प ने मुंहतोड़ जवाब देने की चेतावनी दी।
सीरिया में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। मध्य सीरिया के ऐतिहासिक शहर पल्मायरा में शनिवार को ISIS के एक हमलावर ने अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया। इस हमले में दो अमेरिकी सैनिकों और एक अमेरिकी नागरिक की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य सैनिक घायल हुए हैं। अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के मुताबिक, हमला उस वक्त हुआ जब अमेरिकी सैनिक ISIS के खिलाफ चल रहे अभियानों से जुड़ी एक बैठक में शामिल थे। हमलावर को मौके पर ही सीरियाई सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
असद के हटने के बाद पहला बड़ा हमला
यह हमला इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद अमेरिकी सेना पर यह पहला बड़ा आतंकी हमला है,दिसंबर 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद सीरिया में हालात कुछ हद तक स्थिर माने जा रहे थे, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीरियाई मीडिया के अनुसार, हमले में कुछ स्थानीय सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं सभी घायलों को हेलिकॉप्टर के जरिए अल-तनफ स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ले जाया गया।
बदला जरूर लिया जाएगाः ट्रम्प
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह हमला सिर्फ अमेरिका पर नहीं, बल्कि सीरिया पर भी हमला है। ट्रम्प ने कहा, इस कायराना हमले के पीछे जो भी है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। अमेरिका मुंहतोड़ जवाब देगा। उन्होंने यह भी बताया कि सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा इस घटना से बेहद आहत और नाराज हैं। ट्रम्प के मुताबिक, घायल अमेरिकी सैनिकों की हालत अब स्थिर है।
ISIS के स्लीपर सेल अब भी खतरा
हालांकि ISIS को 2019 में क्षेत्रीय रूप से हरा दिया गया था, लेकिन संगठन के स्लीपर सेल अब भी सीरिया और इराक में सक्रिय हैं। खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि ISIS के पास अब भी 5,000 से 7,000 लड़ाके मौजूद हो सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया कि हमलावर सीरियाई सुरक्षा बलों का सदस्य था, जिसे कट्टरपंथी विचारों के कारण हटाया जा रहा था। हालांकि, सीरियाई अधिकारियों ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है।
सीरिया में करीब 1,000 अमेरिकी सैनिक तैनात
अमेरिका साल 2014 से सीरिया में सैन्य मौजूदगी बनाए हुए है। शुरुआत में यह तैनाती ईरान समर्थित मिलिशिया और रूसी प्रभाव को रोकने के लिए थी, लेकिन अब मुख्य उद्देश्य सिर्फ ISIS के दोबारा उभार को रोकना है.ऑपरेशन इनहेरेंट रिजॉल्व के तहत अमेरिका ने ISIS के खिलाफ अभियान शुरू किया था। 2025 में अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाकर करीब 1,000 कर दी गई है, जो पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीरिया में तैनात हैं। ये सैनिक कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) और अब सीरियाई सुरक्षा बलों के साथ मिलकर संयुक्त ऑपरेशन भी कर रहे हैं।