Human Trafficking Case: मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी करने वालों ताबड़तोड़ एक्शन, 5 अपराधी हुए गिरफ्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जानकारी देकर बताया कि राज्य पुलिस बलों की संयुक्त कार्रवाई के तहत छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कल 15 स्थानों पर तलाशी ली गई।इन आरोपियों को वडोदरा, गोपालगंज, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, गुरुग्राम और चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। ये सभी उस नेटवर्क के लिए काम करते थे।

Update: 2024-05-28 13:00 GMT

Human Trafficking Case: नई दिल्ली। एक बार मानव तस्करी करने वालों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का एक्शन हुआ है। देश के अलग- अलग इलाकों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कथित तौर पर मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में कई स्थानों पर एनआईए और राज्य पुलिस बलों द्वारा संयुक्त रूप से की गई व्यापक तलाशी के बाद सोमवार को गिरफ्तारियां हुईं हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जानकारी देकर बताया कि राज्य पुलिस बलों की संयुक्त कार्रवाई के तहत छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कल 15 स्थानों पर तलाशी ली गई।इन आरोपियों को वडोदरा, गोपालगंज, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, गुरुग्राम और चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। ये सभी उस नेटवर्क के लिए काम करते थे, जो भारतीय युवाओं को नौकरी के झूठे आश्वासन देकर विदेश ले जाते थे। विदेश पहुंचने के बाद इन युवाओं को लाओस और कंबोडिया जैसे स्थानों पर फर्जी कॉल सेंटरों में अवैध गतिविधियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।

संयुक्त कार्रवाई के दौरान डिजिटल उपकरणों, पासपोर्ट और नकली रोजगार पत्रों सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है। इस सिलसिले में विभिन्न राज्यों में आठ नई एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस महीने की शुरुआत में एनआईए को जांच से पता चला था कि इस गिरोह के व्यापक अंतरराष्ट्रीय संबंध थे, जो अवैध रूप से सीमा पार करने और साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों में लिप्त थे। इस मामले में आगे की जांच की जा रही है। इन आरोपियों को वडोदरा, गोपालगंज, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, गुरुग्राम और चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। ये सभी उस नेटवर्क के लिए काम करते थे, जो भारतीय युवाओं को नौकरी के झूठे आश्वासन देकर विदेश ले जाते थे। विदेश पहुंचने के बाद इन युवाओं को लाओस और कंबोडिया जैसे स्थानों पर फर्जी कॉल सेंटरों में अवैध गतिविधियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।

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